रामगढ़ के जंगलों में दिखने लगे यूरेशियन उल्लू
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: कोरोना महामारी ने इंसानों को घरों में कैद कर दिया, तो प्रकृति ने खुद को संवारने का काम शुरू कर दिया। अब लॉक डाउन को लगभग 50 दिन हो चुके हैं। इतने दिनों में रामगढ़ के पर्यावरण में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। यहां के जंगलों में अब यूरेशियन पक्षि नजर आने लगे हैं। जिन पक्षियों को यहां दुर्लभ प्रजातियों में शामिल किया गया था, वे अब दिन के उजाले में भी सुलभ हो गए हैं। कुंदरू सरैया के जंगल में एक ऐसा उल्लू लोगों ने देखा, जिसे विलुप्त प्रजाति के रूप में माना जा रहा था। यह यूरेशियन ईगल उल्लू दो दशक पहले तक रामगढ़ के जंगलों में भारी मात्रा में पाए जाते थे। लेकिन जंगलों के कटाई और इंसानों के दखलअंदाजी ने रामगढ़ के जंगलों से इन्हें विलुप्त कर दिया था।
किसानों के मित्र के रूप में जाने जाते हैं यह उल्लू : पन्नालाल महतो
झारखंड के बर्डमैन के रूप में प्रसिद्ध रामगढ़ के पन्ना लाल महतो ने बताया कि यूरेशियन ईगल आउल किसानों के मित्र के रूप में काम करते थे। जब खेतों में धान की फसल लहलहाती थी, उस वक्त फसल को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों को यूरेशियन उल्लू अपना भोजन बनाते थे। उनका यह कार्य किसानों की फसल और मेड़ दोनों को बचाता था।
पक्षियों के हमले से घायल यूरेशियन उल्लू को बर्ड–मैन ने दी नई जिंदगी
कुंदरू सरैया के जंगल में 2 दिन पहले पक्षियों के हमले में घायल यूरेशियन उल्लू जमीन पर पड़ा हुआ था। जंगल में सैर के लिए निकले उपेंद्र महतो और दिलीप कुमार महतो की नजर जब इस पक्षी पर पड़ी तो उन्होंने इसकी सूचना बर्डमैन पन्नालाल महतो को दी। उपेंद्र ने बताया कि बंदर की शक्ल वाला यह उल्लू अजीब दिख रहा था। अजीबोगरीब पक्षी को देखते ही सबसे पहले इसकी जान बचाना ज्यादा जरूरी समझा। पन्नालाल महतो ने उसका उपचार किया है और अब उसकी हालत पहले से बेहतर है।
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