हमें वर्षा जल संरक्षण के लिए गंभीरता से सोचना होगा : स्पीकर
सत्र से पहले बुलायी गयी बैठक में मात्र तीन सदस्यों ने भाग लिया
हमें वर्षा जल संरक्षण के लिए गंभीरता से सोचना होगा : स्पीकर
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रो. दिनेश उरांव ने सोमवार को सरकार के साथ ही सभी विधायकों को वर्षा जल संरक्षण के लिए समुचित प्रयास करने का आग्रह किया। उरांव ने विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि हमें वर्षा जल संरक्षण के लिए गंभीरता से सोचना होगा। आज के जल संकट को देखते हुए हमें भविष्य के लिए सचेत होने की आवश्यकता है। जल है तो कल है, की पुरानी कहावत हमें आसन्न खतरे की ओर आगाह कर कर रही है। प्रो. उरांव ने कहा कि चूंकि यह मानसून सत्र है, इसलिए आज इसकी यहां चर्चा प्रासंगिक है। वर्षा के मौसम की लगभग आधी अवधि समाप्त हो चुकी है और झारखंड में औसत से भी कम वर्षा हुई है। उन्होंने कहा कि किसी की बात तो और है, राज्य के कई इलाकों को पेयजल की समस्या से बुरी तरह जूझना पड़ रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पवित्र सावन मास की फुहारों के बीच पवित्र वैद्यनाथ धाम की कांवर यात्रा आरंभ हो चुकी है। देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं द्वारा बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर और बासुकीनाथ की 105 किलोमीटर लंबी यात्रा के पथिकों के लिए उन्होंने मंगलकामना की है। उन्होंने इस बात के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास को बधाई दी है कि बिहार और झारखंड दो राज्यों की इस विश्व प्रसिद्ध तीर्थ यात्रा को पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध तारापीठ से जोड़कर तीनों राज्यों का एक यात्रा सर्किट विकसित करने की परिकल्पना उन्होंने प्रस्तुत की है। यह बड़ा ही सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह परिकल्पना साकार होगी और इससे न केवल लाखों श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि रोजगार सृजन की दिशा में भी यह मील का पत्थर साबित होगा। स्पीकर उरांव ने इस बात को लेकर दुख जाहिर किया कि सत्र से पहले बुलायी गयी बैठक में मात्र तीन सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि प्राय: प्रत्येक सत्र के पहले विधायक दल के नेताओं की बैठक की परंपरा रही है। इन बैठकों में भाग न लेना संसदीय व्यवस्था के प्रति लोगों की अभिरुचि में क्षरण को दर्शाता है। इस तरह की बैठक में लोगों का न आना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के प्रति यह उपेक्षा लोकतंत्र को कौन-सी दिशा देगी, इसे देखना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने सदस्यों से गुजारिश करते हुए कहा कि यदि इस सत्र का सार्थक उपयोग हम कर सकें तो हमारे लिये यह बड़ी उपलब्धि होगी।
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