मूल निवासियों की संस्कृति संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की : राज्यपाल
मूल निवासियों की संस्कृति संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की : राज्यपाल
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि किसी भी देश में निवास करने वाले वहां के मूल निवासी को उस देश की ऐतिहासिक धरोहर कहा जाता है,जो उस देश की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैंं। इनका संरक्षण सरकार और अन्य नागरिकों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। मुर्मू शुक्रवार को यहां विश्व आदिवासी दिवस पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं। राज्यपाल ने कहा कि दुनिया में अनुमानित 370 मिलियन आदिवासी लोग हैंं, जो लगभग 90 देशों में रह रहे हैंं। वे दुनिया की आबादी के पांच हिस्से से भी कम हैंं, जो विश्व की अनुमानित सात हजार भाषाओंं में बात करते हैंं और पांच हजार विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैंं। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत भारत सरकार ने जनजातीय लोगों को विशेष केंद्रीय सहायता तथा अनुदान प्रदान किया है। इसके तहत जनजातीय उप-योजना के माध्यम से राज्यों को जनजातीय विकास के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। सहायता का मूल प्रायोजन आदिवासी लोगों के पारिवारिक आय सृजन में बढ़ोतरी के लिए कृषि, बागवानी, लघु, सिंचाई, मृदा संरक्षण, पशुपालन, वन, शिक्षा, सहकारिता, मत्स्य पालन, गांव, लघु उद्योगों तथा न्यूनतम आवश्यकता संबंधी कार्यक्रमों में बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज के सबसे वंचित वर्ग अनुसूचित जनजाति के एकीकृत समाजिक-आर्थिक विकास के समन्वित और योजनाबद्ध उद्श्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र में रखते केंद्र सरकार ने जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय, अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए चलाई जा रही समग्र नीति, योजना और समन्वय के लिए भारत सरकार का एक नोडल मंत्रालय है। मुर्मू ने कहा कि प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान में जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री झारखंड के ही सपूत हैंं। जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत अनुसूचित जनजातियों के विकास कार्यक्रमों के लिए समग्र नीति, आयोजनों और समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय रूप से कार्यरत हैंं, जो कार्यक्रमों और इस समुदाय की नीति, आयोजन निगरानी, मूल्यांकन आदि की विकास की योजनाओं में समन्वय के माध्यम से केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन का दायित्व निभाता है। उन्होंने कहा कि देश की कई फीसदी लड़कियां निरक्षर हैंं, सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान से शिक्षा को बुनियादी हक बना दिया। इसके बावजूद विशेषकर आदिवासी एवं दलित समुदाय की लड़कियों की शिक्षा पर व्यापक विचार और रणनीति बनाने की जरूरत है।
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