आदिवासी उत्पादों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ना चाहिए: अर्जुन मुंडा
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी उत्पादों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ने पर बल देते हुए कहा है कि इससे जनजातीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होगा । मुंडा ने आदिवासी समाज की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए कहा कि वन उपज की खरीद प्राथमिकता से की जानी चाहिए और उनके मूल्यवर्धन पर जोर दिया जाना चाहिए। यह समीक्षा बैठक कल देर शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई । इसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों, जनजातीय मामलों के मंत्रियों संबंधित एजेंसियों के , अधिकारियों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता, मंत्रालय में सचिव दीपक खांडेकर, ट्राइफेड के महाप्रबंधक प्रवीर कृष्णा भी बैठक उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि 17 राज्यों ने 40 करोड़ रुपये तक की वनोपज खरीद कर ली है। पांच और राज्य जल्द ही खरीद की प्रक्रिया आरंभ कर देंगे। सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि जनजातीय लोगों को उनके उत्पादों के लिए सही मूल्य प्राप्त हो।
मुंडा ने राज्यों में प्रधानमंत्री की वन धन योजना के कामकाज की समीक्षा की और कहा कि जनजातीय ऊपज को वैश्विक बाजार से जोड़ने के लिए मूल्य वर्धन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वनधन केंद्र एवं जनजातीय ऊपज के मूल्य वर्धन तथा विपणन के लिए आवश्यक सुविधाओं की मंत्रालय सहायता कर रहा है और इस संबंध में राज्यों की अन्य आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाएगी।
उन्होंने जैविक प्रकृति के ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक ले जाने के लिए एक बाजार श्रृंखला विकसित करने की आवश्यकता बल दिया। मुंडा ने कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति के बाद घर लौटने वाले जनजातीय प्रवासियों मजदूरों और छात्रों के लिए राज्यों की कार्रवाई की भी समी़क्षा की। बैठक में श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने विभिन्न राज्यों से लौटने वाले जनजातीय लोगों को रोजगार देने के लिए ग्राम स्तर पर लघु स्तर की इकाइयों की स्थापना करने और जनजातीयों के पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाने की
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