सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड सरकार द्वारा कोविड-19 को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर झारखंड सरकार किये गये सजा के प्रावधान पर मुख्य विपक्षी बीजेपी की ओर से आपत्ति दर्ज करायी गयी है। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा कि झारखंड सरकार द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कैबिनेट की बैठक में लाए गए झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश के कुछ बिन्दुओं पर लिया गया निर्णय न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। बगैर मास्क पहने बाहर निकलने और सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन पर भारी जुर्माना और कड़ी सजा का प्रावधान पूरी तरह अव्यवहारिक है। इसके अलावा भी कई बिन्दु पर पुर्नविचार करने की जरूरत है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोरोना पर अंकुश लगे, यह सबकी प्राथमिकता व चाहत है। परंतु इसकी सख्ती के नाम पर राज्य की जनता के दोहन के दरवाजे खोलने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रावधान लागू करने से पूर्व तमाम पहलूओं पर बारीकी से विचारोपरांत ही निर्णय लेना उचित होगा। राज्य की आम जनता की तमाम आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों पर भी गौर करना होगा। राज्य में अधिकांशः आबादी गांव और अनुमंडल स्तर पर बसती हैं। जहां बहुतायत गरीब होते हैं। ऐसे में इतना भारी अर्थदंड व कड़ी सजा उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
बीजेपी विधायक दल के नेता कि इन्हें एक अभियान के तहत जागरूक करने की अधिक जरूरत है। ऐसा नहीं हो कि इस कानून की आड़ में पुलिस के लिए कमाई का एक बड़ा और सहज-सुलभ जरिया खुल जाए और राज्य सरकार का मूल मकसद कहीं दूर बहुत पीछे न छूट जाए। पूर्व के कुछ अन्य मामलों में ऐसी ही सख्ती का अनुभव राज्य सरकार के लिए कड़वा भी रहा है। उन्होंने कहा कि सवाल मुंह और नाक ढ़कने का है, न कि भारी जुर्माना व कड़ी सजा के प्रावधान का। अक्सर देखा जा रहा है कि जिनपर यह कानून-नियम अमल करवाने की जिम्मेवारी होती है, वे स्वयं इस नियम की खानापूर्ति और औपचारिकता निभाते दिखते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में मास्क नहीं पहनने पर सरकार ने महज 50 रुपये का जुर्माना तो लगाया है पंरतु साथ ही दो मास्क भी मुफ्त में देने का प्रावधान किया गया है। ताकि लोगों को मास्क के उपयोग की आदत डाली जा सके।
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