सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठव्रतियों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किये कद्दू-भात
सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : चार दिनों तक चलने वाले सूर्य उपासना का महापर्व आज रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। छठव्रतियों ने सुबह में स्नान ध्यान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और दीपदान किया। इसके बाद पवित्रता के साथ बने महाप्रसाद कद्दू-भात ग्रहण किया। इस अवसर पर पड़ोसी सहित सभी सगे संबंधियों ने भी प्रसाद ग्रहण किया। नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हुआ महापर्व में अगले दिन 12 नवंबर को खरना होगा। सोमवार को दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद छठव्रती शाम में नदी, तालाब, कुएं सहित अन्य जगहों को पर शाम में स्नान करने के बाद भगवान भास्कर की पूजा करेंगे। श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान को अर्घ्य देंगे। इसके बाद महाप्रसाद के रूप में मिट्टी के चुल्हे पर आम की लकड़ी की जलावन से गुड़ का खीर बनेगा। संझत में पूजन के बाद भगवान को इसका भोग लगेगा और छठव्रती इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। बहुत जगहों पर मान्यता के अनुसार गुड़ के खीर के महाप्रसाद के साथ शुद्ध घी लगी रोटी और केले खाने की भी परंपरा है। इसके बाद जल ग्रहण करते हैं। खरना की शाम खरना में महाप्रसाद और जल ग्रहण करने के बाद छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान शुरू हो जाता है। उसके बाद अगले दिन 13 नवंबर की शाम डूबते सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को अर्घ देंगे। छठव्रती निर्जला व्रत रखकर शाम में नदी-तालाब पर पहुंचेंगे। वहीं पूरी संपन्न होगी और अर्घ के बाद दीपदान किये जायेंगे। इसके बाद अगले दिन 14 नवंबर की प्रात: उगते (उदीयमान) सूर्य को छठव्रती अर्घ्य देंगे। फिर दीप दान कर हवन के साथ चार दिवसीय महापर्व का समापन होगा और व्रती पारण करेंगे।
खरना – 12 नवंबर (सोमवार)
सायंकालीन अस्ताचलगामी सूर्य का अर्ध्य : 13 नवंबर (मंगलवार)
प्रात:कालीन उदीयमान सूर्य को अर्ध्य : 14 नवंबर (बुधवार)
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