नेतरहाट की तर्ज पर अन्य स्थानों पर भी विद्यालय संचालित किये जाने का निर्णय
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने यहां कहा कि उन्हें नेतरहाट जैसे राज्य एवं देश के ख्यतिप्राप्त विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर चुके सभी व्यक्तियों के बीच आज नेतरहाट श्री महोत्सव- 2018 कार्यक्रम में सम्मिलित होकर अपार प्रसन्नता हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मनोरम दृश्य को लेकर प्रसिद्ध प्रकृति की गोद में बसा नेतराहाट का नाम जब भी लिया जाता है, तो स्कूल की प्रसिद्धि का ख्याल भी जरूर मन में आता है। जहाँ नेतरहाट स्थान की खूबसरती की प्रशंसा की जाती है। प्रकृति मनोहारी है, वहीं स्कूल का गौरवशाली इतिहास रहा है। खुशी है कि आप सभी लोग आज भी अपने विद्यालय को नहीं भूले हैं, इसी का प्रतिफल है कि आज आप लोग राँची में नेतरहाट विद्यालय का स्थापना दिवस बमसमइतंजम कर रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा उन्हें अवगत कराया गया कि राँची ही नहीं, देश-विदेश के अन्य शहरों, जहाँ कहीं भी नेतरहाट विद्यालय के छात्र रहते हैं, प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस समारोह उल्लास के साथ मनाते हैं। अन्य अवसरों पर भी सपरिवार सम्मेलन करते हैं। ऐसे सम्मेलनों में आपसी हाल-चाल के साथ ही नेतरहाट विद्यालय के गौरव को बरकरार रहने तथा राष्ट्र की बेहतरी के सन्दर्भ में चिन्तन-विमर्श अवश्य करते हैं। इसी क्रम में आज के समारोह में अन्य कार्यक्रमों के साथ ‘‘गौरवषाली राष्ट्र का निर्माणः राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना’’ विष्य पर विचारगोष्ठी आयोजित है। राज्यपाल ने कहा आज यहाँ देश के विभिन्न हिस्सों से आप लोग आये हैं। नेतरहाट से पढ़कर आप लोग विभिन्न सेवाओं में गये। यहाँ विभिन्न पेशे के लोग हैं, साथ ही अलग-अलग आयु-वर्ग के। कोई सेवारत है तो सेवानिवृत हो गये। लेकिन आप सब के मन में जो एक है, वह है नेतरहाट विद्यालय के प्रति प्रेम। यही शिक्षा की सार्थकता है। किसी राष्ट्र का निर्माण भव्य इमारतें और अपार सम्पति से नहीं, बल्कि राष्ट्र के नागरिकों के चरित्र निर्माण से ही होता है। और यह निर्भर करता है मजबूत इरादों पर और स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर। छात्रों में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करनेवाली सफल प्रयेगशाला रही है नेतरहाट विद्यालय।
राज्यपाल ने कहा किसी भी समाज या राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था शैक्षणिक वातावरण ही उसे किसी समस्या के समाधान और उद्देश्य प्राप्ति के योग्य बनाती है। गाँधी जी के विचारों में समाज के सबसे अन्तिम पायदान पर खड़े आदमी तक उसकी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति की आत्मनिर्भरता से ही, कोई राष्ट्र विकास एवं मजबूती की ओर बढ़ सकता है। इस दृष्टि से नेतरहाट विद्यालय की स्थापना एक सार्थक कदम कहा जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा नेतरहाट की तर्ज पर अन्य स्थानों पर भी विद्यालय संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। राज्यपाल ने कहा कि इस अवसर पर वह कहना चाहेंगी कि नेतरहाट विद्यालय के गौरवशाली इतिहास को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सभी पूर्ववर्ती छात्रों को आगे आना होगा। मैं चाहती हूँ कि इसकी गरिमा एवं ख्याति युगों-युग तक बनी रहे, ऐसे में पूर्ववर्ती छात्रों की अहम भूमिका है। निश्चित रूप से आज मैट्रिक की परीक्षा में नेतरहाट विद्यालय का वर्चस्व है, लेकिन क्या प्रतियोगिता परीक्षा में हमारा स्थान पूर्व जैसी है, ये चिन्तन करने का विषय है। 10वीं करने के बाद इस विद्यालय में ठहराव के लिए अच्छे विद्यार्थियों की रूचि क्यों नहीं है? आखिर बच्चे यहाँ 11वीं एवं 12वीं यहाँ से क्यों नहीं उत्साह के साथ करना चाहते हैं, इस पर सोचना होगा। नेतरहाट विद्यालय में पढ़नेवाले विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में कामयाबी अर्जित करें, तथा यह विद्यालय और तरक्की एवं उन्नति करें तथा देश के निर्माण में सार्थक भूमिका का निर्वहन करें।
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