तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल को है इलाज की जरुरत, हादसे को निमंत्रण दे रहे जर्जर भवन
सिटी पोस्ट लाइव : तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल में पहले मरीजों की नहीं बल्कि इस अस्पताल को इलाज इस अस्पताल के भवन की स्थिति बेहद ख़राब है, जो किसी बड़े दुर्घटना को न्योता दे रहा है. आलम यह है कि यह कभी भी भरभरा कर गिर भी सकता है. यदि कोई मरीज या कार्यालय में कार्यरत कर्मी की इसके नीचे आने से मौत हुई तो इसका जिम्मेवार कौन होगा. अस्पताल प्रशासन की मानें तो जिला स्तरीय विभागीय अधिकारी, जिला प्रशासन इस बात को लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि हर दिन छत से प्लास्टर व रोड़ी कार्यालय आने-जाने वाले आमजनों पर गिरती रहती है, बावजूद इसके सुध नहीं ली जा रही. बारिश होने पर तो यहां पर स्थिति और भयावह हो जाती है.
बता दें की तारापुर अनुमंडलीय क्षेत्र में सरकारी रेफरल अस्पताल जो अपग्रेड होकर अब अनुमंडलीय अस्पताल बन चूका है, परन्तु अब एक बड़े अस्पताल का दर्जा पाने के बाद उक्त अस्पताल को जगह कम पड़ने लगा है, एक ही भवन में सभी अलग अलग विभागों को चला पाना काफी मशक्कत का सामना करने के बराबर है. अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक बी० एन० सिंह के अनुसार, अस्पताल के नये भवन में जगह की काफी कमी होने के कारण नये भवन से एन० एच०एम०,के कार्यालय को अस्पतालीय आवासीय भवन में और स्थापना शाखा को रेफरल अस्पताल के पूराने जर्जर भवन में स्थित कर कार्य को पूरा किया जा रहा है.
पुराने भवन की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि अब दूसरी मंजिल पर तो लोगों ने जाना ही बंद कर दिया है. अस्पताल भवन के अनदेखी का आलम यह है कि जर्जर हुए भवन के आसपास बड़े-बड़े पेड़ दीवारों में ही विकसित हो गए हैं. जैसे-जैसे उनकी जड़ें मजबूत होती जाती हैं, वे भवन को नुकसान पहुंचा रहे हैं. रोजाना अस्पताल के पुराने भवन का कोई ना कोई हिस्सा टूट कर गिरता रहता है. कार्यरत कर्मी जान जोखीम में डाल काम करने को मजबूर हैं, लेकिन उपरी तबके की मानें तो शायद किसी बड़े दुर्घटना का इंतजार है.
प्रभारी उपाधीक्षक की मानें तो जर्जर भवन को समय समय पर रिपेयिंग कराने के बावजूद भी छत का उपरी हिस्सा टूट टूट कर गिरता रहता है. स्थिति इतनी दयनीय है कि प्रभारी महोदय अपना कार्यालय खुद डाक्टर्स के रसोईघर मे स्थित कर कार्य करने को मजबूर हैं. अस्पताल प्रभारी व कर्मी की मानें तो कई बार संबंधित बातों को स्वास्थ्य के बड़े अधिकारी, यहां तक की जिला पदाधिकारी को दिया जा चूका है, लेकिन अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
वहीं अस्पताल के अकांउट क्लर्क नवीन कुमार ने बताया कि स्थापना शाखा वर्तमान में जिस जर्जर भवन में चल रहा है, भविष्य में कभी भी निश्चित ही एक बड़े हादसे का कारण बन सकता है, समय रहते नये भवन का निर्माण कर बड़े दूर्घटना को घटने से रोका जा सकता है. बता दें हालत तो यह है कि छत, दीवार का प्लास्टर कभी भी कार्यरत कर्मी के आसपास गिर जाता है जिससे उन्हें चोट लगने का खतरा रहता है. नित्यदिन ऐसा होने के बावजूद गंभीरता नहीं बरती जा रही, वहीं बड़ी लापरवाही साफ साफ उपरे तबके के अधिकारी की नजर आ रही है.
विभाग ने अभी तक पुराने भवन के इस हिस्से को कंडम घोषित नहीं किया है. पुराने भवन के हिस्से में कार्यालय समय में सैकड़ों की संख्या में मरीज कागजात संबंधित कार्य हेतू रहते हैं. अगर कभी भवन का यह हिस्सा गिर गया तो बड़ा हादसा होने से रोक पाना कठिन कार्य होगा. इतना है नहीं प्रबंधन की मानें तो इतने बड़े अस्पताल में मरीज को उठाने के लिए ट्राली तो है, परन्तु ट्राली को उठाने वाले “ट्रालीमेन” के लोग ही नहीं हैं.
इस संदर्भ में जब प्रभारी उपाधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उक्त अस्पताल में ट्रालीमैन दिया ही नहीं गया है, जिससे मरीज को उपर ले जाने और लाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता. दूसरे कर्मियों की मदद से तथा समय समय पर खुद से भी मदद कर ट्राली पर मरीज को उठाया जाता है. यह भी एक गंभीर समस्या है जिसका सामना अन्तत: मरीजों को करना पड़ता है.
तारापुर से “शशांक घोष” की रिपोर्ट
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