सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में सिंगल बेंच के आदेश को खारिज कर दिया है। साथ ही अदालत ने जेपीएससी को जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है । झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रिंस कुमार और पीयूष चित्रेश ने बताया कि यह फैसला राज्य की बड़ी जीत है। इससे परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है।
झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले से जुड़े सभी पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित किया है। अब सबकी निगाहें झारखंड हाई कोर्ट के डबल बेंच के फैसले पर टिकी हैं। सवर्णों को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर रंजीत कुमार साहा एवं अन्य ने झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर की गयी है। अपील याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच में हुई।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आदेश में कहा था कि वर्ष 2019 में सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का कानून लागू किया गया है। इसलिए वर्ष 2019 से पहले हुई नियुक्ति में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ अदालत ने जेपीएससी से दोबारा विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया था।
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी से पूरे राज्य में इसकी मुख्य परीक्षा होनी थी और उससे पहले हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। झारखंड लोक सेवा आयोग ने सिविल इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियर की वैकेंसी के लिए वर्ष 2019 में विज्ञापन जारी किया था। इसके तहत सिविल इंजीनियर के पद पर 542 और मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर 92 अभ्यर्थी शामिल थे।
यह महत्वपूर्ण फैसला झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनाया है। प्रार्थी रंजीत कुमार साह ने असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले 21 जनवरी को झारखंड हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया था।
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