सिटी पोस्ट लाइव : किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लेने, बिजली बिल 2020 को वापस लेने, दिल्ली में जारी किसान आंदोलन पर दमन बंद करने, एमएसपी से कम कीमत पर फसल खरीद को दंडनीय अपराध घोषित करने आदि की मांग को लेकर शनिवार को रहिमाबाद के बहादुरनगर में अखिल भारतीय किसान महासभा- खेग्रामस एवं भाकपा माले के संयुक्त बैनर तले कार्यकर्ताओं ने ईकट्ठा होकर अपने हाथों में झंडे, बैनर एवं नारे लिखे तख्तियां हाथों में लेकर जुलूस निकाला जो नेशनल हाईवे-28 पर पहुंचकर सड़क जाम आंदोलन में जुलूस तब्दील हो गया.
इस दौरान सड़क के दोनों ओर वाहनों का तांता लग गया. मौके पर प्रखण्ड कमिटी सदस्य मुंशीलाल राय की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया. संचालन किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह ने किया. नीलम देवी, रजिया देवी, धर्मेंद्र पासवान, सुशील पासवान, शिवबालक पासवान, आइसा के में जावेद, जीतेंद्र सहनी आदि ने सभा को संबोधित किया.
बतौर मुख्य वक्ता सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले प्रखण्ड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि देश के दर्जनों मुनाफे में चलने वाली सरकार उपक्रम को मोदी सरकार ने निजी हाथों से बेच दिया. इसमें रेल, जहाज, बैंक, एलआईसी, एचपीसीएल, बीएसएलएन आदि मुख्य है. अब कृषि को कारपोरेट कंपनीयों को सरकार सौंपना चाह रही है. कृषि उत्पादों को अडानी- अंबानी सरकार के मार्फत हथियाना चाहते हैं. सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से कतरा रही है.
इसे देश के किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने दिल्ली में किसान आंदोलन पर सरकार के ईशारे पर की गई पुलिसिया दमन की निंदा करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि जो सरकार किसानों से टकराई है, वो सरकार चकनाचूर हो गई है. उन्होंने कहा कि अगर काला कानून वापस नहीं लिया गया तो मोदी सरकार को भी किसान सत्ता से उखाड़ फेकेंगे. अंत में पीएम नरेंद्र मोदी का पूतला फूंककर सरकार के किसान विरोधी कदम का विरोध करते हुए 7 दिसंबर को पांडे पोखर पर प्रदर्शन करने एवं 8 दिसंबर को किसान आंदोलन के समर्थन में भारत बंद पर गांधी चौक से बंदी जुलूस निकालने की घोषणा की.
समस्तीपुर से प्रियांशु कुमार की रिपोर्ट
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