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आदिवासी भाषा, संस्कृति और परंपरा को सम्मान दिया, युवाओं को ओलचिकि का शिक्षक नियुक्त करेंः रघुवर दास

मुख्यमंत्री ने दुमका में ओलचिकी लिपि के प्रोत्साहन के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों के लिए उनके स्वागतार्थ आयोजित प्रमण्डलस्तरीय ओलचिकी कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लिया

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आदिवासी भाषा, संस्कृति और परंपरा को सम्मान दिया, युवाओं को ओलचिकि का शिक्षक नियुक्त करेंः रघुवर दास

सिटी पोस्ट लाइव, रांची/दुमका: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 2014 में जब मैं संथाल आया तो यहां की गरीबी देखकर बड़ी पीड़ा हुई थी। उस समय मैंने सोचा अगर जनता ने मुझे सेवा का मौका दिया तो संथाल परगना की वर्तमान स्थिति को परिवर्तित कर दूंगा। यह संयोग रहा कि मैं मुख्यमंत्री बना और यही वजह है कि मैं संथाल परगना बार-बार आता हूं और संथालवासियों के सहयोग से उनके साथ, विकास की बयार के साथ उन्मुक्त आकाश में उड़ान भर सकूं। आप संथालवासी एक कदम चलें, मैं आपके साथ चार कदम चलूंगा। मुझे संथाल परगना को बदलना है और यह बदलाव आपकी शक्ति यानी जनशक्ति के बगैर संभव नहीं। आपकी वजह से एक मजदूर राज्य का मुखिया होने के धर्म का पालन कर रहा है। मुख्यमंत्री दास रविवार को इंडोर स्टेडियम, दुमका में ओलचिकी लिपि के प्रोत्साहन के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों के लिए उनके स्वागतार्थ आदिवासी संथाली लिपि ओल चिकि शिक्षा अभियान ट्रस्ट द्वारा आयोजित प्रमण्डलस्तरीय ओलचिकी कार्यकर्ता सम्मेलन में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहले भी सरकारें बनी लेकिन आदिवासियों की सुध किसी ने नहीं ली, लेकिन जब जब हमारी सरकार बनी हमने सिदो कान्हो, चांद भैरव, फूलों झानो के संथाल परगना की आदिवासी संस्कृति, भाषा और परम्परा को सहेजने का कार्य किया। फिर वो संथाली भाषा के विकास पर संरक्षण की बात हो या अलग से आदिवासी मंत्रालय के गठन की बात हो हमने कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने ओलचिकि लिपि में भी अब कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई कराने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में कक्षा 1 और 2 में इसकी पढ़ाई होगी। बाद में कक्षा 5 तक की पढ़ाई सुनिश्चित होगी। साथ ही संथाल परगना के ब्लॉक से लेकर समाहरणालय भवन में यहां की ओल चिकि लिपि में 15 दिनों के अंदर नाम अंकित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओलचिकि लिपि के जबतक शिक्षक नियुक्त नहीं हो जाते तबतक पंचायत के युवाओं को घंटी के आधार पर नियुक्त करें। उन्हें घंटी के हिसाब के पैसे का भुगतान करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिकाल से जिसका अस्तित्व है वह आदिवासी है। इतिहास गवाह है कि आजादी का शंखनाद इस धरा से हुआ था। यहां के वीरों ने आजादी के लिए अपना खून बहाया। लेकिन आजादी के बाद किसी ने इन वीर सपूतों को याद नही किया, बस उनके नाम पर राजनीति करते रहें। लेकिन प्रधानमंत्री ने झारखण्ड के वीर शहीद बिरसा मुंडा को लाल किला से याद कर उन्हें नमन किया। यही नहीं राज्य के अन्य शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक बनाने हेतु 25 करोड़ की राशि भी दी। ताकि आने वाली पीढ़ी और युवा इन वीरों की वीर गाथा से अवगत हो अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा के संरक्षण और संवर्धन के लिए उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर सकें। इस अवसर पर कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी, रमेश हांसदा, आनंद मुर्मू समेत सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष उपस्थित थे।
आप अपनी संपत्ति सार्वजनिक करता हूं, सभी दल के मुखिया भी करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है कि वर्तमान सरकार जमीन लूट लेगी, लेकिन साढ़े 4 साल के कार्यकाल में किन आदिवासियों की जमीन लूटी गई। राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते मैं अपनी संम्पति सार्वजनिक करने को तैयार हूं। सभी पार्टी के मुखिया भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करें। आदिवासियों के विकास के नाम पर ऐसे लोगों ने सिर्फ खुद के विकास की बात सोंची। गरीब, आदिवासी का कल्याण कैसे हो यह कभी नहीं सोंचा।
उन्होंने कहा कि कुछ विदेशी शक्ति आदिवासी परंपरा, संस्कृति और भाषा को नष्ट करना चाहती है। युवा इस ओर ध्यान दें। चंद पैसे की लालच में धरती आबा बिरसा मुण्डा, सिदो कान्हू, फूलो झानो, चांद भैरव की संस्कृति को नष्ट नहीं करें। आप युवा अपनी संस्कृति को बचाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता का संचार करें। सरकार सभी धर्म का सम्मान करती है लेकिन लोभ और डरा धमका कर धर्मांतरण अक्षम्य है। सरकार यह बर्दाश्त नहीं करेगी। यही वजह रही कि राज्य में धर्मांतरण बिल लाया गया। ताकि संस्कृति बची रहे।
हम केवल विकास करते हैंः डॉ. लुईस मरांडी
कल्याण मंत्री डॉ. लुइस मरांडी ने कहा कि आदिवासी कल्याण के लिए सरकार कार्य रही है। अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया। सरकार संथाल परगना समेत पूरे राज्य के विकास को कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि रघुवर दास ने संघर्ष कर राज्य के मुख्य सेवक बने हैं। दास ने गरीबी को करीब से देखा है, लेकिन जिसने कभी गरीबी ना देखी हो वह सोने के चम्मच में जन्म लेने वाला आदिवासियों की व्यथा क्या जाने।
सभी महिलाएं आगे आएं और सोफा पर बैठे
सम्मान समारोह में पंहुचने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने देखा कि कुछ महिलाएं पीछे खड़ी हैं । मुख्यमंत्री ने सभी महिलाओं को आगे विशिष्ट अतिथियों के लिए लगे सोफे पर आकर बैठने को कहा। फिर क्या था महिलाएं हर्षित मुद्रा में आगे आकर सोफे पर बैठ गईं। दो कतार में लगे सोफा में पूरी तरह से महिलाएं आकर बैठ गईं, उन्हें सम्मान महसूस हुआ।
संथाल परगना पर राज्य सरकार का विशेष ध्यान
राज्य के संथाल परगना क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। झारखंड की रघुवर सरकार ने संथाल परगना पर विशेष ध्यान दिया है।
● दुमका में मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ।
● नमामि गंगे परियोजना के तहत साहेबगंज सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं मधुसूदन घाट का उद्घाटन हुआ।
● संथाल के बच्चों को उनकी मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 1 से 5वीं तक के बच्चों को उनकी भाषा ओलचिकि में भी प्रदान किया जा रहा है।
● राज्य सरकार ने संथाल परगना के सभी सरकारी कार्यालयों में हिंदी के साथ साथ ओल चिकि भाषा मे भी नाम दर्ज करने का निदेश दिया है।
● गोड्डा जिला में सैनिक स्कूल एवं प्रोफेशनल कॉलेज का निर्माण।
● देवघर एवं साहेबगंज जिला में 50 हजार लीटर क्षमता का डेयरी प्लांट का निर्माण।
● दुमका, जामताड़ा व पाकुड़ में 5 हजार MT क्षमता का कोल्ड स्टोरेज का निर्माण।
● देवघर जिले के सारठ प्रखंड में महिला कॉलेज एवं साहेबगंज जिला में एएनएम स्कूल तथा कौशल विकास कॉलेज की स्थापना।
● दुमका जिला के दुधानी में खादी पार्क तथा देवघर जिला में सांस्कृतिक भवन का निर्माण।
● दुमका जिला में कला केंद्र एवं नर्सिंग कौशल का निर्माण।
● साहेबगंज, पाकुड़ और गोड्डा जिला में नया सब स्टेशन का निर्माण।
● देवघर, वासुकीनाथ एवं साहेबगंज में जलापूर्ति योजना।
● देवघर मंडल कारा को केंद्रीय कारा के रूप में विकसित करने की योजना।
● लिट्टीपाड़ा में पेयजलापूर्ति योजना के लिए 200 करोड़ की योजना पर कार्य हो रहा है।
● संथालवासियों को सबसे अधिक 33 टेली मेडिसीन की सुविधा।
टेली मेडिसिन की सुविधा केलिए राज्य के 100 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में से 33 टेली मेडिसिन की सुविधा संथालवासियों को मिला है। अब संथाल परगना के लोग आईटी क्रांति के जरिये स्वास्थ्य लाभ ले सकेंगे।

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