सिटी पोस्ट लाइव, देवघर: झारखंड में पैसे के अभाव में किसी गंभीर बीमारी के मरीज़ की मौत नहीं हो इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना की शुरुआत की गई है। देवघर जिले में योजना के तहत राशि के अभाव के कारण मरीज़ों को इस योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है और निराश हो कर वापस लौटना पड़ रहा है। आलम यह कि मांग के विरुद्ध जो आवंटन सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं वह ऊंट के मुँह में जीरा का फोरन वाला कहावत चरितार्थ करता है। गौरतलब है कि झारखंड में ईलाज़ के अभाव में किसी की मौत नहीं हो,शायद इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना की शुरुआत की गई। योजना के तहत 72 हज़ार रुपये तक की वार्षिक आय वाले मरीजों को 4 लाख 50 हज़ार रुपये तक कि सहायता का प्रावधान किया गया। लेकिन देवघर में इस योजना के तहत राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण असाध्य रोग से ग्रसित मरीजों को निराश हो कर वापस लौटना पड़ रहा है। योजना के अंतर्गत योग्य मरीज़ों के चयन के लिए प्रत्येक सप्ताह सदर अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा स्क्रीनिंग का प्रावधान रखा गया है। लेकिन बोर्ड की बैठक भी नियमित नहीं होने से चलने में असमर्थ मरीज़ों को सिविल सर्जन ऑफिस आ कर वापस लौटना पड़ रहा है। योजना के तहत 72 हज़ार की वार्षिक आय की सीमा तय होने से इतना तो स्पष्ट है कि यह योजना निम्न आय वर्ग के लोगों की स्वास्थ्य जरुरत को ध्यान में रख कर बनाई गई है,लेकिन देवघर में विभागीय स्तर पर समुचित रूप से आवंटन उपलब्ध न होने से उन मरीजों के जीवन भी सांसत में हैं, जो पूरी तरह सरकारी मदद पर आश्रित हैं। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि सरकार से आवंटन की मांग की गई है, जो जल्द ही उपलब्ध होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि एमओयू के तहत देश के जितने भी अस्पताल हैं वो काफी हद तक स्वीकृति के बाद मरीजों का इलाज इस उम्मीद से कर रहे थे कि स्वीकृति आदेश के बाद आवंटन प्राप्त होते ही राशि प्राप्त होने की स्थिति में उन्हें भुगतान प्राप्त हो जायेंगे। लेकिन आवंटन में देरी की वजह से अब वो अस्पताल भी अब मरीजों के इलाज में हाथ खड़ा कर रहे हैं, जिससे मरीजों को काफी कठिनाइयां झेलनी पड़ रही है। सिविल सर्जन ने बताया कि उनकी स्वास्थ्य निदेशक से भी बात हुई है और उन्होंने आश्वस्त भी किया है । गौरतलब है कि देवघर जिले में असाध्य रोगियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि देखी जा रही है जबकि आवंटन सही रूप से प्राप्त नहीं हो रहे हैं। हालाँकि सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके लगभग 6 माह के कार्यकाल में अबतक साढ़े चार करोड़ रुपये असाध्य मरीजों को उपलब्ध कराई गई है जबकि विभाग से पुनः दो करोड़ रुपये की मांग की गई है। इधर,असाध्य मरीजों के परिजन सिविल सर्जन कार्यालय का चक्कर काटने को बाध्य हैं
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