सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राज्य की गरीब मेधावी छात्राओं को राज्य के बाहर के अथवा राज्य के तकनीकी शिक्षण संस्थानों में नामांकन के उपरांत आर्थिक सहायता प्रदान करने संबंधी योजना प्राधिकृत समिति हेतु संलेख प्रारूप पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपना अनुमोदन दिया है। यह प्रस्ताव उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा तैयार की गई है। राज्य की गरीब मेधावी छात्राओं को राज्य के बाहर अथवा राज्य में तकनीकी शिक्षा अर्जित करने में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बाधक न रहे, इसके लिए यदि तकनीकी शिक्षा पाने वाली छात्राओं को अतिरिक्त आर्थिक सहायता दिया जाए तो इससे राज्य की बालिकाओं को तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रोत्साहन मिलेगा। उक्त योजना के तहत यह प्रस्ताव है कि राज्य के बाहर अथवा राज्य में अवस्थित डभ्त्क् द्वारा घोषित व्अमतंसस छप्त्थ् त्ंदापदह वाले प्रथम 100 संस्थानों, विश्वविद्यालय के आईसीटीई से मान्यता प्राप्त स्नातक- स्नाकोत्तर स्तर पाठ्यक्रमों (विश्वविद्यालय के मामले में विश्वविद्यालय द्वारा डंदंहमक मुख्य कैंपस में ही संचालित उक्त कोर्स) में राज्य के छात्राओं का नामांकन होने पर प्रत्येक वर्ष संबंधित कोर्स के उस बैच के लिए निर्धारित कुल वार्षिक फीस अथवा रुपए 1 लाख मात्र ( दोनों में से जो कम हो) आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाय। यह सहायता अधिकतम 200 छात्राओं को प्रतिवर्ष दिए जाने पर लगभग रुपए 2 करोड़ प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है।
एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी, यदि वह किसी सेमेस्टर- वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं। राज्य के बाहर अथवा राज्य में अवस्थित भारत सरकार के नियंत्रणाधीन प्रतिष्ठित संस्थानों- विश्वविद्यालय के कैंपस में संचालित अथवा अन्य राज्यों के प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों में संचालित, एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त स्नातक-स्नाकोत्तर स्तर पाठ्यक्रमों में राज्य के छात्राओं का नामांकन होने पर प्रत्येक वर्ष संबंधित कोर्स के उस बैच के लिए निर्धारित कुल वार्षिक फीस अथवा रुपए 50 हजार मात्र (दोनों में से जो कम हो) आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाय।
यह सहायता अधिकतम 100 छात्राओं को प्रतिवर्ष दिए जाने पर लगभग रुपए 50 लाख प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है। एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी, यदि वह किसी सेमेस्टर वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं। उक्त प्रस्ताव के अंतर्गत आर्थिक सहायता हेतु योग्य छात्रा के चयन में बराबरी की स्थिति में प्राथमिकता का आधार क्रमशः छात्रा की बेहतर जेईई मेन रैंकिंग, छात्रा के क्वालीफाइंग एग्जाम का प्राप्तांक एवं जिस छात्रा की आयु अधिक हो, रहेगा।
विभागान्तर्गत तकनीकी शिक्षण संस्थानों में नामांकन होने की स्थिति में राज्य की बालिकाओं को डिप्लोमा कोर्स हेतु रुपए 10 हजार प्रति वर्ष एवं डिग्री अभियंत्रण कोर्स हेतु रुपए 20 हजार प्रति वर्ष आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाय। यह सहायता प्रत्येक वर्ष डिप्लोमा के लिए अधिकतम 1500 छात्राओं एवं डिग्री अभियंत्रण कोर्स हेतु अधिकतम 500 छात्राओं को दिए जाने पर कुल लगभग रुपए 2.50 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष व्यय होने की संभावना है। एक बार चयनित छात्रा को उसके निर्धारित कोर्स अवधि तक के लिए लगातार यह आर्थिक सहायता मिल सकेगी, यदि वह किसी सेमेस्टर-वर्ष में अनुत्तीर्ण नहीं होती हैं।
केंद्र से झारखंड के लिए 10आईपीएस अधिकारियों के आवंटन की मांग रांची। राज्य में भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों की कमी को देखते हुए सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित 10 (दस) भापुसे के पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग में करने हेतु गृह मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने अपना अनुमोदन दिया है। वर्तमान में राज्य में 24 जिलों में से 19 उग्रवाद प्रभावित हैं।
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में पूर्व में भावपुवसेव के पदाधिकारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में सुदृढ़ कार्यवाही हेतु सिविल सेवा परीक्षा, 2020 के माध्यम से चयनित भावपुवसेव के कम से कम 10 पदाधिकारियों का आवंटन झारखंड राज्य संवर्ग करने का अनुरोध गृह मंत्रालय से किया गया है। उल्लेखनीय है कि झारखंड राज्य में भावपुवसेव के स्वीकृत संवर्ग बल 149 के विरुद्ध मात्र 113 पदाधिकारी उपलब्ध हैं, जिनमें से 93 पदाधिकारी सीधी भर्ती के तथा 20 प्रोन्नति से नियुक्त हैं। इसी प्रकार सीधी भर्ती के पदाधिकारियों का निर्धारित कोटे 104 के विरुद्ध 11 सीधी भर्ती के पदाधिकारियों की कमी है।
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