छठी जेपीएससी मुख्य परीक्षा स्थगित करने के मुद्दे पर पक्ष- विपक्ष एकजुट
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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की पांचवे दिन सोमवार को सदन में छठी झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) मुख्य परीक्षा को स्थगित के जाने का मुद्दा छाया रहा। सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर एकजुट नजर आए। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव का भी इस मुद्दे को लेकर कड़ा रूख नजर आया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यदि जनहित के मुद्दे पर हम निर्णय नहीं ले पाते हैं तो सदन को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि सदन का स्तर काफी नीचे गिर गया है। इस मुद्दे को लेकर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करनी पड़ी और प्रश्नोत्तर पर कोई चर्चा नहीं हो सकी ।
विधानसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने पर भी विपक्ष सदस्य जेपीएससी मुख्य परीक्षा को स्थगित करने की मांग को लेकर अपने स्थान पर खड़े हो गए । नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन कहा कि इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की भावना एक है । उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर मंत्रीगण भी चिंतित है । विभिन्न विधायकों से इस परीक्षा के अभ्यर्थियों ने मुलाकात कर अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया कि पहलेइस परीक्षा मेंआरक्षण का मुद्दा अहम था लेकिन अब भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जेपीएससी परीक्षा में स्क्रूटनी करने वाले 55 लोगों में 18 लोग खुद मुख्य परीक्षा में शामिल हो रहे है, वहींकुछ अभ्यर्थियोंनेखोरठा मेंविषय भरा है, लेकिन उन्हें एडमिट कार्ड अंग्रेजी का मिल रहा है। उन्होंने मांग कि आज से शुरू हो रही जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगायी जाए। भाजपा के निर्भय शाहबदी ने भी इस मामले को लेकर गठित बाउरी समिति की रिपोर्ट को सदन के पटन पर रखने की मांग की। कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि सरकार ने जेपीएससी के सचिव को इसलिए वहां से हटाया कि उनके रिश्तेदार मुख्य परीक्षा में शामिल हो रहे हैं ।लेकिन स्क्रूटनी करने वाले 55 लोगों में से 18 लोग मुख्य परीक्षा दे रहे है। इसलिए परीक्षा की पारदर्शिता भी संदिग्ध होती है। नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रताप शाही ने भी बाउरी कमेटी की रिपोर्ट को छिपाने पर नाराजगी जाहिर की।उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस के बादल ने कहा कि यह मुद्दा पक्ष और विपक्ष का नहीं है बल्कि राज्य की जनता सदन की और आशा भरी नजरों से देख रही है। सत्ता रूढ दल के मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि कुछ मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और ऐसे मुद्दे पक्ष और विपक्ष का नहीं होता। उन्होंने भी बाउरी कमेटी की रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग की और जांच होने तक परीक्षा स्थगित करने का आग्रह किया।vभाकपा माले के राजकुमार यादव ने कहा कि परीक्षा में कई तरह की अनियमितता की बात सामने आ रही है इसलिए इस मुख्य परीक्षा पर रोक लगानी चाहिए। इस पर सरकार की ओर से उत्तर देते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने सदन को बताया कि परंपरा के अनुसार जो मामला उच्च न्यायालय में लंबित होता है उस पर सदन में चर्चा नहीं की जाती। हालांकि सरकार सभी मुद्दों को लेकर गंभीर है। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने छठी जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। जेपीएससी परीक्षा और सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव भी दिया गया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने अमान्य कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को व्यवस्थित कर प्रश्नोत्तरकाल की कार्यवाही शुरू करने का भी आग्रह किया, लेकिन शोर-शराबा होता देखकर कार्यवाही को अपराह्न 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। सदन की कार्यवाही दुबारा शुरू होने पर विपक्षी सदस्य पुनः शोर-शराब करने लगे। इस बीच कार्मिक विाग के प्रभारी ंत्री अमर कुमार बाउरी ने झारखंड पिछड़े वर्गां के राज्य आयोग के लिए 2 अप्रैल 2016 से 31 मर्चा 2017 तक के वार्षिक प्रतिवेदन की एक प्रति को सभा पटल पर रखा। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को पुनः दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। दूसरी पाली में वित्तीय वर्ष 2019-20 के आय-व्ययक पर सामान्य वाद-विवाद होना था, लेकिन जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाये जाने की मांग को लेकर विपक्ष फिर से हंगामा करते हुए आसन के निकट आ गये। जिसके बाद बजट पर कोई चर्चा नहीं हो सकी और विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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