सिटी पोस्ट लाइव, कुशीनगर: मानसून की पहली बारिश के बाद नेपाल के बाल्मीकि नगर बैराज से लगातार डिस्चार्ज से कुशीनगर की नारायणी नदी का जलस्तर बढता जा रहा है। नदी पर बने एपी बांध के प्वाइंट संवेदनशील हो गए हैं। अहिरौलीदान गांव के एक दर्जन घरों में नदी का पानी घुस गया है। शुक्रवार को नेपाल ने नदी डिस्चार्ज 71300 क्यूसेक पानी छोड़ा। नदी खतरा के निशान 76.20 से महज 1.30 मीटर नीचे 74.90 पर बह रही है। एपी बांध के किमी 14.500 अहिरौलीदान में हरेंद्र सिंह, हरेंद्र मिश्र, कमल सिंह, रामेश्वर सिंह, सुकदेव, बैरिस्टर आदि ग्रामीणों के घर के पास नदी का पानी पहुंच गया है। बांध के किमी 1200 नोनियापट्टी से किमी 1300 खैरखूंटा व किमी 14.500 अहिरौलीदान आदि स्थानों पर बांध प्वाइंट संवेदनशील स्थिति में पहुंच गए हैं। पानी बढ़ जाने से बचाव कार्य की विभिन्न परियोजना पर हो रहे कार्य प्रभावित हैं।
बाढ़ व कटान से ये गांव होते हैं प्रभावित
नारायणी नदी में बाढ़ आने व कटान से पिपराघाट, जंगली पट्टी, परसा उर्फ सिरसिया, चैनपट्टी, घघवा जगदीश, जवही दयाल, बीरवट कोन्हवलिया, बाघाचौर, अहिरौलीदान, फागू छापर आदि गांव हर वर्ष प्रभावित होते हैं।
समय से नहीं पूरा होता बचाव कार्य सेवरही
बाढ़ व कटान से बचाव के लिए हर वर्ष परियोजनाएं स्वीकृत होती हैं लेकिन विभागीय लापरवाही से मानसून आने पूरा नहीं हो पाती। बाद में फ्लड फाइटिंग के नाम पर अत्यधिक धन खर्च हो करने का आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं। अहिरौलीदान निवासी जेके सिंह ने कहा कि कटान से गांव कई टोले इतिहास का विषयवस्तु बन गए। गत वर्ष कचहरी टोला कट कर नदी में विलीन हो गया। अब चंद घर शेष बचे हैं। जंगली पट्टी निवासी राजेश सिंह ने कहा कि मानसून पूर्व प्रशासन मुकम्मल व्यवस्था की बात करता है लेकिन बाढ़ व कटान से प्रति वर्ष कुछ न कुछ अनिष्ट हो जाता है। पिपराघाट निवासी विद्या सागर सिंह ने कहा कि नदी प्रतिवर्ष सैकड़ों एकड़ खेत अपने उदर में समेट लेती है। किसान अपनी लहलहाती फसलों को बर्बाद होता देख बेबसी से हाथ मलते हैं। भावपुर निवासी बच्चा सिंह ने कहा कि घर कटने से सैकड़ों परिवार बांध पर शरण लेते हैं। तैंतीस वर्षों से विस्थापन नहीं हुआ। लोग खुले आसमान में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। इस सम्बंध में डीएम भूपेश एस चौधरी ने बताया कि निगरानी व बचाव कार्य चल रहा है। कोई क्षति नहीं होगी।
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