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नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ने निकाला जन आक्रोश मार्च, शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग

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नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ने निकाला जन आक्रोश मार्च, शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग

सिटी पोस्ट लाइव : रविवार-नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (एनएफडीपी)ने पटना के कारगिल चौक गांधी मैदान से सरकारी खजाने से वेतन लेने वाले सभी कर्मचारी लोग अपने संतानों को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाए के समर्थन में एवं बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के विरोध में पार्टी द्वारा भव्य जन आक्रोश मार्च निकाला गया और कहा गया कि जब तक सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, नेता और मंत्री अपनी संतानों को सरकारी विद्यालय में नहीं पढ़ाएंगे तब तक बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को नहीं सुधारा जा सकता है।

सरकारी खजाने के पैसे से जीवन यापन करने वाले सरकारी कर्मचारीयों और शिक्षक व नेताओं के लिए अपनी संतानों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाना अनिवार्य हो इस महत्वपूर्ण मांग को लेकर नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कौशलेन्द्र नारायण के नेतृत्व में जनाक्रोश मार्च कारगिल चौक से चलकर जयप्रकाश गोलंबर तक शांतिप्रिय ढंग से गया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कौशलेन्द्र नारायण ने कहा कि जनता की कमाई पर वेतन लेने वाले अपने संतानों को राज्य के निजी क्षेत्र के विद्यालय में पढ़ाते हैं जिसकी वजह से सरकारी विद्यालय बदहाली के कागार पर पहुँच चुकी है। आज भी बिहार में विद्यालय का भवन खंडहर है,लेकिन सुशासन की सरकार सिर्फ विकास का ढिंढोरा जनता को ठगने के लिए पिट रही है। आज सरकारी विद्यालय में सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर समाज के बच्चे पढ़ रहे है।चाहे वह किसी भी जाति-बिरादरी के हो।

डॉ. नारायण ने कहा कि सरकार एक नियम बनाये जिसमेँ यह प्रावधान हो कि जहां भी सरकारी कर्मचारी के रूप में सरकारी कोषागार से वेतन लोग प्राप्त करते है। वही पर स्थानीय विद्यालय में अपने बच्चों का पठन -पाठन कराये। तब ही बिहार की शिक्षा ब्यवस्था सुधर सकती है।नही तो जनता की गाढ़ी कमाई का अरबो रुपये विद्यालय के शिक्षक के वेतन और उनके रख- रखाव पर खर्च हो रहे है,लेकिन शैक्षणिक स्तर में कोई सुधार नही हो रहा है। डॉ. नारायण ने कहा कि बिहार में आज करीब 5 लाख शिक्षक की बहाली हुई है,और करीब 1 लाख शिक्षक की बहाली सरकार जाति और राजनीति के नाम पर कर रही है।लेकिन कभी सरकार इस बात पर नही सोंचती की सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या ही नही है। ये लोगो को बच्चे और शिक्षा के प्रहरी के नाम पर जो पेमेंट दिया जा रहा है। वह सिर्फ छलावा और दिखावा है।जिसके मद में जनता के ऊपर टैक्स लादकर करोड़ो रूपये पानी की तरह बहाया जा रहा है।जो बिहार के उच्च शिक्षा को उखाड़ फेंकने का षड्यंत्र है।

डॉ. नारायण ने कहा की माफिया और दलाल तबके के लोग अपने परिवार को सेटिंग-गेटिंग के तहत टीचर की नौकरी में बहाल कराकर राजधानी या जिला मुख्यालय के शहरों के विद्यालयों में पोस्टिंग कराकर बेरोजगारी दूर कराकर सरकार को आंख में धूल डालकर लांखो करोड़ का चूना लगा रहे है।जो जनता के ऊपर टैक्स बढ़ोतरी के द्वारा निरंकुशता के साथ वसूली गई पैसे है।बिहार में बहुत ऐसे विद्यालय है, जहां छात्र-छात्राओं की संख्या से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या है। जो हम बिहार वासियों के लिए काफी शर्म की बात है।

डॉ. नारायण ने कहा कि मैं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी से मांग करता हूँ,की वे एक कैबिनेट से अध्यादेश पारित करे कि सरकारी खजाने से जो वेतन लेंगे वे अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाएंगे ।अगर कर्मचारी उस नियम का पालन नही करते है,तो उन्हें निलंबित और बर्खास्त करने का प्रावधान हो। खासकर शिक्षक लोगो को भी विभागीय एक नोटरी से शपथ पत्र ले कि अगर शिक्षक की नौकरी मुझे करनी है,तो अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ाएंगे।नही तो नौकरी से हांथ धोना पड़ेगा।जबतक ऐसा प्रावधान नही होगा बिहार का शैक्षणिक श्थिति बद से बदतर ही रहेंगी।आज कितना बड़ा दुर्भाग्य की बात है,की बिहार की शिक्षा का स्तर गिरकर राष्ट्रीय स्तर पर 22 वें नम्बर के पायदान पर पहुंच गया।क्या ये हम बिहारियों के लिए शर्म की बात नही है।शिक्षक शिक्षण कार्य छोड़ कर सरकारी योजनाओं को पूरा करने में लगे रहते हैं या फिर मध्यान भोजन के पैसों की बंदर बांट में ।सरकार द्वारा छात्रों को दी जाने वाली सभी सुविधाओं को सरकारी कर्मचारी व राजनेता हड़प चुके हैं ।

राज्य की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस कदर बदहाल ही जिसकी कोई सीमा नहीं है |कई सरकारी विद्यालय जर्जर भवनों में चल रहे हैं ,कहीं शिक्षकों का आभाव है |मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बहाल शिक्षक स्वयं ही अयोग्य हैं |शिक्षा के नाम पर होने वाले खिलवाड़ और शिक्षण सामग्री के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है । एनएफडीपी किसी स्वतंत्र जांच कमीटी से इसके निष्पक्ष जांच की मांग करती है ।वर्तमान सरकार ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को एक साजिश के तहद बर्बाद कर दिया है नीजी क्षेत्र के विद्यालयों को बढ़ावा देने हेतु साजिश के तहद करकारी विद्यालयों व गरीब छात्रों को शिक्षा जैसी बुनियादी अधिकार से वंचित किया जा रहा है ।”बच्चे देश के भविष्य होते हैं परन्तु जिस देश की शिक्षा व्यवस्था ही बदहाल हो उस देश के कैसे भविष्य की कल्पना की जा सकती है ।”सामान्य तौर पर सरकारी विद्यालयों समाज के निम्न आय वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं समाज का यह वर्ग साधन विहीन है उनकी इसि मजबूरी का फायदा उठा कर मौजूदा सत्ताधारी सरकार उनके इस वुनियादी हक का दोहन कर रही है ।

नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी कड़े शब्दों में सरकार की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की घोर निंदा करती है | बदहाली का आलम यह है कि स्कूलों में न बच्चों के पढ़ने के लिए पुस्तकालय है और न ही तकनीकी शिक्षा हेतु कम्प्यूटर मौजूद है ।तथाकथित रूप से चलने वाले आधुनिक शिक्षा से लैस ये विद्यालय आदम जमाने के किसी विद्यालय की याद दिलाते हैं ।”नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ” कड़े शब्दों में इन सब की निंदा करती है । नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी का यह जनाक्रोश मार्च कारगिल चौक गांधी मैदान पटना से चलकर जयप्रकाश गोलंबर तक शांति प्रिय रूप से गया। साथ ही पार्टी के नेताओं ने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों को नही मानती है,तो पूरे बिहार में धरना-प्रदर्शन करेंगे और पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के रूप में इस मामले को लेकर जाएंगे।

इस जनाक्रोश मार्च में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कौशलेन्द्र नारायण के अलावा राष्ट्रीय संगठन प्रभारी श्री राजीव लोचन पांडेय,पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव व पूर्व डीआईजी श्री गणेश प्रसाद वर्मा, विधि प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री दयाशंकर प्रसाद,पार्टी के बिहार मामले के प्रवक्ता श्री बिमल शर्मा,महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रीता राय,महासचिव चंद्राणी बनर्जी भटाचार्या,उपाध्यक्ष अर्पिता सिन्हा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष श्री कृष्णा शर्मा,महासचिव श्री कुंदन शर्मा व सन्तोष कुमार के अलावा सैंकड़ो नेता शामिल थे। यह जानकारी पार्टी के बिहार मामले के प्रवक्ता श्री बिमल शर्मा ने दिया।

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