सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: जिले में भी टिड्डी दल हमला कर सकते हैं। यहां के किसानों को इस टिड्डी दल से काफी खतरा हो सकता है। फसलों को बचाने के लिए खेतों में दमकल से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाएगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए पहले से ही तैयारी कर ली है। गुरुवार को डीडीसी संजय सिन्हा के नेतृत्व में टिड्डी नियंत्रण दल का गठन कर दिया गया है। डीसी संदीप सिंह ने बताया कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और देश के अन्य प्रांतों में मरुस्थलीय टिड्डी दल के हमले हुए हैं। इसे देखते हुए टिड्डी नियंत्रण कार्यदल की बैठक समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई।
बैठक में डीडीसी ने कहा कि टिड्डियों के आक्रमण से निपटने के लिए किसानों को जागरूक किया जाना है। किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में रसायनिक कीटनाशक उपलब्ध होना चाहिए। प्रखंड स्तर पर कीटनाशकों के भंडारण और पर्याप्त मात्रा में इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश भी डीडीसी ने दिया। साथ ही उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से फसलों के नुकसान और उससे बचाव के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया। डीडीसी ने टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोगी हाईस्पीड लोवॉल्यूम स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, गटोर स्प्रेयर, नैप सैक स्प्रेयर, वाहन पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर आदि की उपलब्धता की जानकारी ली। साथ ही संबंधित पदाधिकारियों को इन स्प्रेयर के विक्रेताओं और किसानों से सम्पर्क कर समन्वय बनाए रखने का निर्देश दिया। ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके। डीडीसी ने जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल के सदस्यों को अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर लागातार उनके संपर्क में रहने का निदेश दिया। ताकि आवशयकता पड़ने पर टिड्डी दर पर दवा का छिड़काव किया जा सके।
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जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने टिड्डियों को भगाने के लिए पारंपरिक उपाय अधिकारियों के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि धुंआ करक, ढोल, नगाड़े, बर्तन आदि पीट कर कीटों को भगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि धुंआ करने के लिए किसानों को अपने खाली खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सूखे खरपतवार और पौधों की ढेर तैयार रखना होगा। ताकि टिड्डियों के आक्रमण की स्थिति में इन ढेरों में आग लगाकर धुंआ उत्पन्न किया जा सके। झुण्ड में रहने वाली मरूस्थलीय टिड्डियां 01 किलोमीटर के दायरे में करोड़ों की संख्या में पाई जाती है, जो खेतों को काफी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इसलिए किसानों को इन मरूस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण से अपने फसलों को बचाने के लिए निरंतर अपने खेतों की निगरानी करना अति आवश्यक है। बैठक में जिला उद्यान पदाधिकारी रवीश चंद्रा, जिला जंसमपर्क पदाधिकारी रजनी रेजिना इंदवार, कृषि विज्ञान केन्द्र से दुष्यंत राघव, उप परियोजना निदेशक चंद्रमौलि आदि उपस्थित थे।
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