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भाषा और भावना साथ चलती है, स्कूली शिक्षा मातृभाषा में हो : वेंकैया नायडू

देश की शिक्षा पद्धति में दोष, आज भी हम मैकाले सिस्टम को पढ़ रहे 

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भाषा और भावना साथ चलती है, स्कूली शिक्षा मातृभाषा में हो : वेंकैया नायडू

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि भाषा और भावना एक साथ चलती है। हर व्यक्ति को अपने घर में अपनी मातृभाषा में बोलना चाहिए। हर राज्य में स्कूली शिक्षा अपनी मातृभाषा में ही होनी चाहिए। हिन्दी के बिना हिन्दुस्थान का आगे बढ़ना संभव नहीं है। मैं बचपन में हिंदी भाषा का विरोध करता था लेकिन जब मैं दिल्ली आया तो समझा कि हिंदी के बगैर देश का विकास नहीं हो सकता। मातृभाषा शरीर का अंग है और दूसरी भाषा आंखों पर लगा चश्मा। शनिवार को उपराष्ट्रपति नायडू राजधानी रांची के होटल रेडिसन ब्ल्यू में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा पद्धति में दोष है। उसमें हमारा गौरवशाली इतिहास और हमारी परंपरा नहीं है। आज भी हम मैकाले सिस्टम को ही पढ़ रहे हैं, जिससे बाहर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी का कोई विरोध नहीं। उसे जानना चाहिए लेकिन सबसे पहले अपनी मातृभाषा सीखें, बोलें। बच्चों को अंग्रेजी सिखाने की बीमारी मां-बाप की है। वो अंग्रेजियत की ओर जाते हैं। लोगों को लगता है कि अंग्रेजी नहीं आयेगी तो आगे नहीं बढ़ सकेंगे लेकिन आप बतायें, देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कई मुख्यमंत्री कॉन्वेंट में गये हैं क्या? मैं उपराष्ट्रपति क़ॉन्वेंट में नहीं पढ़ा। एक मामूली किसान परिवार का बेटा आज उपराष्ट्रपति है। एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में लंबी चर्चा के बाद अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त किया गया। डिसक्शन हमेशा स्वस्थ होना चाहिए और यह जरूरी भी है। इसकी सार्थकता है। राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं होने के बावजूद यह दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ और लोकसभा में तो ध्वनिमत से।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि मीडिया का उद्देश्य हमेशा समाजसेवा होना चाहिए। मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सच्ची और अच्छी खबरें छापें। विकासवादी सकारात्मक राजनीति का हिस्सा होना चाहिए। मीडिया को दलीय राजनीति से ऊपर उठकर जनतांत्रिक होना चाहिए। मीडिया को आचार-विचार, विचारधारा, क्षमता, निष्ठा पर विचार करना चाहिए, न कि जाति, मजहब, पैसे और अपराध पर। प्रिंट मीडिया का अपना महत्व है। प्रेस की स्वतंत्रता देश के लिए कीमती है। पत्रकारिता की गंभीरता अखबार के पन्नों में दिखती है। शब्दों की मर्यादा सदैव बरकरार रहेगी। भविष्य में भी प्रिंट मीडिया हमेशा प्रासंगिक बनी रहेगी। मीडिया की विश्वसनीयता है लेकिन जनसरोकार के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ब्रेकिंग खबर पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि आज ढेर सारे चैनल हो गये हैं और वो ब्रेकिंग न्यूज के नाम पर कुछ भी चलाते रहते हैं। पहले इंफॉरमेशन, फिर कनफर्मेशन न कि सेंसेशन। जिसमें सेंस नहीं, वहीं सेंसेशन। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया की तरह इलेक्ट्रॉनिक में कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था ‘मीडिया की स्वतंत्रता जरूरी है।  देश की आजादी में माडिया की अहम भूमिका रही है। नेताओं ने इसे आंदोलन से जोड़ा। अखबार के पन्नों में ही यह दिखता है। सांसदों की गतिविधियों की खबर मीडिया को जरूर देनी चाहिए। सांसद सत्र में शामिल होते हैं या नहीं, सवाल उठाते हैं या नहीं, उनका आचरण कैसा रहा। इन सभी चीजों को लोगों को जानना चाहिए। 144 और आंदोलन में भाग लेने पर हुए केस की चर्चा मीडिया को नहीं करनी चाहिए लेकिन जिन सांसदों पर अपराध, दुष्कर्म, भ्रष्टाचार, लूट आदि आपराधिक केस हैं, मीडिया उसे लोगों को जरूर बताये। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एकबार प्रिंट में छपा तो बदल नहीं सकता। तकनीक ने अखबार की लोकप्रियता को बढ़ाया है। आप स्मार्टफोन पर भी इसे आसानी से पढ़ सकते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि अखबार अपना पक्ष न रखें, वह लोगों का पक्ष रखें। न्यूज और व्यूज को मिलाना नहीं चाहिए, यह अनुचित है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में मीडिया को फेक न्यूज और पेड न्यूज से दूर रहना चाहिए। मीडिया को देश की सकारात्मक राजनीति का वाहक बनना होगा। दल की राजनीति नहीं बल्कि लोगों की बातों को प्रस्तुत करना मीडिया का काम होना चाहिए।वेंकैया नायडू ने अपने बचपन की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर में जब बम धमाके होते थे तो हम अपने स्कूल को बंद कराते थे। मास्टर पूछते थे कश्मीर में धमाका हुआ तो यहां क्यों बंद। मैंने उनसे पूछा था कि अगर आपके पैर में चोट आयी तो आप उसे देखेंगे। हाथ से सहलायेंगे। जैसे यह आपके शरीर का हिस्सा है, वैसे ही कश्मीर मेरे देश का हिस्सा है। उन्होंने इस अवसर पर एक डाक टिकट और विशेष लिफाफा जारी किया। साथ ही झारखंड गौरव सम्मान भी प्रदान किया गया। सम्मान पाने वालों में लेखक शुभाशीष दास, फिल्मकार  लाल विजय शाहदेव, समाजसेवी प्रवीण लोहिया, संस्कृति के क्षेत्र में काम करने के लिए गोपालदास मुखर्जी, वैद्यनाथ पेंटिंग के लिए नरेंद्र पजारिया, संगीत के लिए पंडित मोर मुकुट केडिया, समाजसेवा के लिए एंथोनी सी फर्नांडिस, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिए सरदार और छऊ नृत्य के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए तपन पटनायक और मधुमिता शामिल हैं। उपराष्ट्रपति हवाईअड्डे से सीधे समारोह स्थल रेडिशन ब्लू पहुंचे। हवाई अड्‌डे पर उनका स्वागत राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने किया।  कार्यक्रम में राज्यपाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, स्थानीय संपादक संजय मिश्रा इस अवसर पर उपस्थित रहे।

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