50 हजार मीट्रिक टन मछली का निर्यात करेगा झारखंड
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 4 वर्ष पूर्व मछली उत्पादन एक लाख मीट्रिक टन से भी कम था। अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बंगाल एवं आंध्रप्रदेश से मछली का आयात किया जाता था। उत्पादन को लगभग दोगुना करते हुए इस वर्ष राज्य में 1.90 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने की संभावना है। राज्य में मछली की कुल घरेलू मांग 1.40 लाख मीट्रिक टन है। इसलिए इस वर्ष हम लगभग 50 हजार मीट्रिक टन मछली का निर्यात करने की स्थिति में आ गये है। राज्य के मछली पालकों को विभागीय मत्स्य आहार के क्रय पर 50 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध कराने की योजना को वर्ष 2019-20 में जारी रखा जायेगा। कुल 8,066 मत्स्य मित्रों एवं मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से अब तक राज्य में 850 करोड़ मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ है। इस वर्ष 59 पोर्टेबल मत्स्य बीज हैचरी का अधिष्ठापन कर राज्य में मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर होने हेतु योजना स्वीकृत की गई है तथा निर्माण कार्य कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 80 हैचरियों का निर्माण कराया जायेगा, ताकि प्रखण्ड स्तर पर मत्स्य स्पॉन उपलब्ध हो सके एवं मत्स्य बीज के लिए अन्य राज्यों पर हमारी निर्भरता समाप्त हो सके। मछली पालन की तकनीक को गाँव-गाँव तक पहुँचाने के उद्देश्य से अब-तक 5,809 मत्स्य कृषकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 18,200 मत्स्य कृषकों तथा सखी मंडल की महिला सदस्यों को मछली पालन का प्रशिक्षण देने की योजना है। आर्थिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु कुल 1,28,684 मछुआरों को सामूहिक आकस्मिक दुर्घटना बीमा योजना अंतर्गत बीमित किया गया है। इससे आच्छादित बीमित की मृत्यु अथवा पूर्ण स्थाई अपंगता होने पर बीमा कम्पनी द्वारा दो लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। आंशिक स्थाई अपंगता की स्थिति में एक लाख रुपये का भुगतान बीमित को किया जाता है। मछुआ परिवारों को रहने का स्वस्थ परिवेश प्रदान करने के उद्देश्य से वेद व्यास आवास योजना के अन्तर्गत कुल 2,735 मछुआ परिवारों के लिए पक्का आवासों का निर्माण कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी 2,100 मछुआ परिवारों को पक्का आवास की सुविधा प्रदान की जायेगी।
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