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झारखंड सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने पर करेगी विचार

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झारखंड सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने पर करेगी विचार

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड सरकार के संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने विधानसभा में सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा से पारित पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में राज्य सरकार महाराष्ट्र सरकार से जानकारी प्राप्त कर रही है। मुंडा ने भाजपा के बिरंची नारायण के एक अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में कहा कहा कि वर्ष 2018 तक राज्य में संघर्षरत कुल पांच पत्रकारों की हत्याएं और उनपर हमला के मामले का प्रतिवेदन राज्य के गृहकारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त कर रही है। उन्होंने कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में भारतीय पत्रकार महासभा द्वारा राष्ट्रपति को संबोधित पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री सचिवालय के माध्यम से विभाग को प्राप्त हुआ है। मुंडा ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार और राज्य के गृहकारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से प्रतिवेदन प्राप्त होने पर समीक्षोपरांत विभाग राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने पर विचार करेगी। विधायक गीता कोडा के एक अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में संसदीय कार्यमंत्री मुंडा ने कहा कि झारखंड राज्य बनने के पहले इस क्षेत्र में 268 थाने कार्यरत थे। जो आज बढकर 457 थाना हो गया है। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में राज्य में 18 पुलिस अनुमंडल, 13 थाना चार ओपी को थाना में उत्क्रमण तीन ओपी, तीन यातायात थाना एवं छह साइबर थाना का सृजन किया गया हैं। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अनुमंडल, एक थाना एवं दो ओपी खोलने का प्रस्ताव विभाग में विचाराधीन हैं। कांग्रेस के सुखदेव भगत के एक अन्य अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में राज्य के राजस्व मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि राज्य की 86 प्रतिशत आबादी को खाद्य सुरक्षा अधिनियम से जोडा गया है। उन्होंने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य लक्षित मामले में झारखंड का स्थान पूरे देश में 23 वां हैं और आर्थिक विकास के मामले में 25 वां स्थान हैं। उन्होंने कहा कि भूख से मरने की पहले कोई सूचना नहीं होती हैं। कोई मर जाता है, तो राजनीति करने के लिए भूख से मौत को जोड दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर खाद्यन्न की व्यवस्था की गयी है। झाविमो के प्रदीप यादव के एक अन्य अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री मुंडा ने कहा गोड्डा जिले के कैदी महेन्द्र बेसरा की मौत इलाज के क्रम में हुई हैं और मृत्यु के संबंध में किसी भी प्रकार संदेहात्मक बात सामने नहीं आयी है इसलिए इस मामले की फिर से जांच कराने की आवश्यकता नहीं हैं।

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