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कोरोना ख़ौफ़ के इतर श्रावणी मेला कितना जायज

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सिटी पोस्ट लाइव, देवघर: बैद्यनाथधाम देवघर का सबसे लंबे अवधि तक चलने वाला सर्वाधिक लंबे मेले के रूप में ख्यात श्रावणी मेले को लेकर खींचतान सी स्थिति बनती दिख रही है। एक ओर स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे लोकहित याचिका दायर कर श्रावणी मेला आयोजन को लेकर न्यायिक भरोसे की उम्मीद पर ताल ठोके बैठे हैं। वहीं पंडा धर्मरक्षणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर पुरातन परम्परा का हवाला देकर तीर्थ-पुरोहित समाज के लोगों द्वारा सुल्तानगंज से जल लाकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक की माँग कर रहे हैं। इधर राज्य सरकार 30 जून तक अनलॉक-1 की अवधि तक मंदिर आम जनों के लिए बंद बंद रखने का आदेश दे रखा है। इस संबंध में  हेमंत सरकार के मंत्री बादल पत्रलेख ने स्प्ष्ट किया है कि मंदिर के पट खोले जाने का निर्णय स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही करेंगे।

ज्ञात हो कि धार्मिक आस्था के इस महापर्व में केवल एक माह की अवधि में ही 40-45 लाख श्रद्धालु कांवरियों का आगमन होता है। जिसे देखते हुए यह कहा जाना अनुपयुक्त न होगा कि कोरोना जैसे घातक महामारी के अवस्था में इतना बड़ा मानव महासमुंदर को देवघर जैसे छोटे शहरवासियों के सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपयुक्त होगा? सांसद निशिकांत दुबे जहां इसे धार्मिक आस्था के साथ रोजगार-व्यवसाय से जोड़कर हर हालत में श्रावणी मेला आयोजन को लेकर आक्रमक हैं।  तो दूसरी ओर परम्परा के नाम पर पंडा धर्मरक्षिणी सभा द्वारा जलार्पण की सुविधा सामाजिक रूप से प्राप्त करने के जुगत में हैं। आम जनों की बात करें तो कोरोना जैसे महामारी की विश्व-व्यापी भयावहता को लेकर डरे-सहमे से हैं ।  जो उचित ही कहा जा सकता है क्योंकि देवघर अत्यंत सघन आबादी वाला शहर होने के साथ पारंपरिक रिश्तों के निर्वहन वाला शहर भी है। स्वयं तीर्थ पुरोहित भी यजमान को न तो अपने घर आने से रोकना चाहेंगे और ना ही श्रद्धालु पण्डों से मिले वगैर रहेंगे । पंडों और श्रद्धालुओं का यह सम्बंध पीढ़ियों से चला आ रहा है जिसको तोड़ना किसी के लिए भी सम्भव नहीं।
ऐसे में यदि कोरोना संक्रमित हुआ तो यह कितनी तेज़ी से प्रसार पायेगा इसका अंदाज़ा लगाना भी मुमकिन नहीं। जिला प्रशासन की बात करें तो अनलॉक-1 अवधि तक मंदिर के पट बन्द रहने के बाद यदि श्रावणी मेला आयोजन सम्बन्धी निर्णय भी लिए गए तो इसका अनुपालन करना बूते की बात नहीं होगी।  बल्कि यूँ कहें तो यह अदूरदर्शी फैसला होगा क्योंकि जिला प्रशासन के लिए हर जिले वासियों की सुरक्षा का दायित्व होगा जो किसी धर्म संकट से कम न होगा।

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