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हूल दिवस पर दुमका के सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय पहुँची राज्यपाल

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हूल दिवस पर दुमका के सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय पहुँची राज्यपाल

सिटी पोस्ट लाइव,  दुमका: हूल दिवस के अवसर पर दुमका में सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में माननीया राज्यपाल महोदया के अभिभाशण हेतु मुख्य बिन्दुः-
 आज हूल दिवस है। इस अवसर पर मैं संथाल हूल के महानायकों सिदो-कान्हु, चाँद-भैरव समेत सभी अमर महानायकों को नमन करती हूँ और उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करती हूँ।

 आज संथाल हूल के अमर महानायकों सिदो एवं कान्हु के नाम पर स्थापित इस विष्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर अपार प्रसन्नता हो रही है।

 सिदो कान्हु विष्वविद्यालय द्वारा हूल दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन करना सराहनीय पहल है। इससे हमारी युवा पीढ़ियों को अपने स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे प्रिय महानायकों के सन्दर्भ में बेहतर तरीके से अवगत होने का अवसर प्राप्त होगा तथा ऐसे महानायकों से उन्हें प्रेरणा मिलेगी। साथ ही इस क्षेत्र के लोग भी अपने प्रिय महानायकों के योगदान से गौरवान्वित महसूस करेंगे।

 उन्हें यह जानकर गर्व और खुषी होती है, जब उन्हें पता चलता है कि ऐसे आजादी के ऐसे महानायक उनकेे क्षेत्र के ही थे।

 भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में ‘‘संथाल हूल’’ और ‘‘संथाल विद्रोह’’ के द्वारा अंग्रेजों को भारी विद्रोह का सामना करना पड़ा था।

 सिदो तथा कान्हु, दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज जिले के भोगनाडीह गांव इस क्रान्ति का आग़ाज हुआ। इस विद्रोह के मौके पर सिदो ने घोषणा की थी- करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो।

 आज भी उनके संघर्शों की कहानियाँ जो अपने पूर्वजों से सुनते हैं, पुस्तकों का अध्ययन के क्रम में पाते हैं, तो ऐसे सपूतों के प्रति गर्व के साथ श्रद्धा एवं उत्साह की भावना को तेज से भर देता है।

 मैं सदा कहती हूँ कि वैसे यह सत्य है कि ये देष उन्हीं का स्मरण करता है जिसने देष को कुछ दिया हो। स्वयं के लिए धन-दौलत जमा कर आप खुद एवं परिवार को तो सुख-भोग करा सकते हैं, लेकिन ये देष तभी आपको याद करेगा जब आप देष को कुछ दे सकें, देष के लिए कुछ कर सकें। आज यह देख सकते हैं कि हम अपने वीर सपूतों को देष के लिए किये गये त्यागों एवं उनके बहुमूल्य योगदानों के लिए याद कर रहे हैं।

 हम सभी को अपने ऐसे महानायकों एवं देषभक्तों से सीखना चाहिये कि उन्होंने किस विपरीत परिस्थिति में भी राश्ट्र के लिए साहसिक कार्य किया। ऐसे महानायक हमारे समक्ष आदर्ष हैं। इनसे प्रेरित होर हमारे विद्यार्थियों के साथ-साथ सभी लोगों को भी एक देषभक्त के रूप में भी जाना जाय, राश्ट्रप्रेम की भावना उनमें प्रबल हो, ऐसा प्रयास हो।

 इस अवसर पर मैं कहना चाहूँगी कि सिदो कान्हु मुर्मू विष्वविद्यालय का यह दायित्व है कि वे हमारे विद्यार्थियों को निपुण एवं दक्ष बनायें। जहाँ कहीं भी हमारे ये विद्यार्थी रहंे, अपने कार्य, व्यवहार एवं सहयोग की भावना से सबका नाम रौषन करें।

 चांसलर के रूप में मेरी इच्छा है कि सिदो कान्हु मूर्मू विष्वविद्यालय षिक्षा एवं अनुषासन के क्षेत्र में एक ऐसी पहचान स्थापित करे कि अन्य राज्यों से भी लोग यहाँ नामांकन के लिए आयें। हमारे षिक्षण संस्थान सिर्फ डिग्री न दें, हमारे युवा और षिक्षक दोनों इस चीज़ को समझें। सिर्फ डिग्री से कुछ नहीं होनेवाला है। आज का युग ज्ञान आधारित है और ज्ञान की कद्र होती है।

 उच्च षिक्षा के विकास के लिए यह आवष्यक है कि षिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचना उपलब्ध हों। साथ ही ब्संेेमे नियमित हों, पुस्तकालय में पुस्तकें उपलब्ध हो, हमारी प्रयोगषाला विकसित हो।

 मैंने जब विष्वविद्यालय में संचालित विभिन्न विशयों में उत्कृश्ट स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की बैठक राज भवन में आहुत की थी, तो ये सब समस्यायें ही हमारे प्रिय विद्यार्थियों ने बतलाई थी। हालांकि अब इन क्षेत्रों में कार्य हो रहे हैं। षिक्षकों की कमी को तत्काल दूर करने पर घंटी आधारित अतिथि षिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आषा है कि इन षिक्षकों की नियुक्ति होने से कक्षा नियमित होने की दिषा में प्रगति हुई होगी। इसके अतिरिक्त सत्र के नियमितीकरण की दिषा में प्रबल प्रयास किया जा रहा है, सभी विष्वविद्यालयों को निदेषित किया गया है।

 विष्वविद्यालय परिसर में सर्वत्र ज्ञान का वातावरण निर्मित हों। हमारे षिक्षक विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्षन करें। वे गुरू कौटिल्य एवं द्रोणाचार्य आदि की तरह षिश्यों को निपुण बनायें। गुरू-षिश्य का संबंध अधिक प्रगाढ़ हो, ताकि नैतिक मूल्यों का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके।

 हमारे विद्यार्थियों को सदैव अनुषासित होकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिये। अनुषासन के बिना सफलता प्राप्ति संभव नहीं है। उन्हें मूल्यों पर जोर देना होगा। उन्हंें अपने जीवन में नैतिकता और संस्कार पर सदा बल देना होगा। चारित्रिक बनना होगा।

 जीवन में यदि कामयाबी हासिल करनी है तो ये सब सबसे जरूरी है कि क्योंकि आपको सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना होगा। और जो अच्छा इंसान बन गया, वह अपनी राह स्वयं चयन कर लेता है। सही मार्ग पर चलकर कामयाबी हासिल कर ही लेता है।

 सभी को अपनी कला-संस्कृति के प्रति भी प्रेम रखना चाहिये। खेलकूद भी आवष्यक है। इस दिषा में भी बच्चों को प्रोत्साहित करने हेतु विष्वविद्यालय को निदेष दिया गया है।

 अन्त में, यही कहूँगी कि इस विष्वविद्यालय के विकास हेतु सभी पदाधिकारी, षिक्षक एवं कर्मी टीम भावना के तहत कार्य करें। एक बार पुनः हुल क्रान्ति के महानायकों को नमन।

जय हिन्द! जय झारखण्ड!

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