सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद् के मामले में तलोजा जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता फदर स्टेन स्वामी के कोमा में चले जाने की खबर मिल रही है। 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी का स्वास्थ्य इतना गिर चुका है कि होली फै़मिली अस्पताल ने इन्हें वेंटिलेटर पर रखा है। इधर, रांची में उनकी रिहाई की मांग की जा रही है। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से झारखंड जनाधिकार महासभा ने मांग की है कि स्टेन स्वामी को विशेषज्ञ इलाज मुहैया कराई जाए और उन्हें तत्काल रिहाई कर झारखंड वापिस लाने की व्यवस्था की जाए। उच्च न्यायालय से उन्हें तुरंत बेल देने का आग्रह किया गया है।
महासभा की ओर से जारी बयान में अलोका कुजूर, भारत भूषण चौधरी, एलीना होरो और मंथन ने कहा कि भारत सरकार और जांच संस्था एनआईए इस बुज़ुर्ग की पीड़ाओं के लिए और उनको इस दयनीय स्थिति तक पहुँचाने के लिए पूरी तरह ज़िम्मेवार है। बयान में कहा गया है कि मई महीने की शुरुआत से ही तलोजा जेल में स्टेन का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। इन्हें खांसी, बुख़ार, कमजोरी, और ख़राब पेट की शिकायत होती रही। इन्हें कोविड के लक्षण होने के बावजूद इसका जांचनहीं हुआ। काफ़ी शोर मचाने के बाद इन्हें कोविड का टीका लगा जो इन्हें दूसरे वेव के शुरुआत में न देकर जब वे गम्भीर रूप से बीमार हो गए तब दिया गया। इस दौरान वे कोविड पॉजिटिव भी पाए गए। उच्च न्यायालय ने 28 मई को इलाज के लिए इन्हें होली फ़ैमिली अस्पताल जाने की अनुमति दी।
गौरतलब है कि स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगाँव मामले में 8 अक्तूबर 2000 को रांची नामकुम बगीचा से गिरफ़्तार किया गया था। आदिवासी संगठन, कई ग्राम सभा, सिविल सोसाइटी, राजनीतिक नेता और यहाँ तक कि झारखंड के मुख्यमंत्री तक ने उनकी गिरफ़्तारी की भर्त्सना की और उनके प्रति समर्थन जताया है। स्टेन पिछले दस महीनों से जेल में बंद हैं और अब जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 84 साल के एक बुज़ुर्ग को जो कई गम्भीर बीमारियों से पीड़ित है और जो चल फिर भी नहीं सकते।
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