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कर्मियों को नौकरी से निकालने की धमकी देकर उकसाने की हो रही है कोशिश: अंबा प्रसाद

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सिटी पोस्ट लाइव, हजारीबाग: कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने कहा है कि  बड़कागांव में मुआवजा विस्थापन रोजगार तथा प्रदूषण की समस्या को लेकर प्रभावित ग्रामीणों के द्वारा किए जा रहे सत्याग्रह को तोड़ने का षड्यंत्र कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है । जिसके तहत कंपनियों के द्वारा वर्तमान में कार्यरत सभी कर्मियों का वेतन को रोक दिया गया है तथा  उनको धमकी दिया जा रहा है कि विधायक के खिलाफ कार्रवाई करो विधायक के खिलाफ धरना करो विधायक के खिलाफ बयानबाजी करो अन्यथा तुम्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।  कंपनी शुरू से ही फूट डालो और राज करो की राजनीति करती आ रही है । ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार ने बगैर मुआवजा राशि का निर्धारण किए औने पौने दाम में कुछ लोगों के जमीन का मुआवजा का भुगतान कर तथा कुछ दबंग लोगों को रोजगार देकर सरकार द्वारा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए ग्रामीणों पर लाठी और गोलियां चलाकर खनन आरंभ करवा दिया था।  बड़कागांव की जनता आज भी मुआवजा और नौकरी का आस लगाए हुए है ।

पिछले भारतीय जनता पार्टी के सरकार ने जिस तरह से बलपूर्वक बड़कागांव के जनता को पीटने और लूटने का काम किया है, आज उनके छुटभैये नेता और कार्यकर्ता कंपनी की दलाली करने से बाज नहीं आ रहे हैं । पूरा बड़कागांव इनके कुकर्म का भुक्तभोगी है ।आज पूरा झारखंड जानता है की योगेंद्र साव और निर्मला देवी निस्वार्थ भाव से बड़कागांव की जनता के लिए उनकी हक अधिकार के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया । आज उसी का परिणाम है कि उनके ऊपर कई झूठे मुकदमे करके उनको जेल तथा राज्य बदर कर दिया गया है । बड़कागांव क्षेत्र के जनता इसी उम्मीद के साथ मुझे जिताया कि मैं उनकी आवाज बनकर उनके हक और अधिकार के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा के शासनकाल में लूटे गए उनके अधिकार को वापस दिलाऊंगी । इसी उम्मीद के साथ हर रोज मेरे घर में सैकड़ों लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं ।

मेरे द्वारा विधानसभा में बड़कागांव के किसानों विस्थापितों तथा प्रभावितों को अधिकार दिलाने के लिए आवाज उठाया गया । उन्हांने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं मेरे सवालों के जवाब  में आश्वासन दिया था कि भू रैयतों को उनका अधिकार दिलाने के लिए विस्थापन आयोग का गठन किया जाएगा । उपायुक्त के द्वारा भी कई बार आश्वासन दिए जाने के बाद आज तक प्रभावितों के समस्या का समाधान नहीं किया गया । अंततः थक हार कर लोगों ने गांधीवादी तरीके से पुनः सत्याग्रह का रास्ता पकड़ा भू रैयतों की मांगे जायज है,इसलिए मैं उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हूं, और जब तक कंपनी ग्रामीणों को आश्वस्त नहीं करती है तब तक यह धरना जारी रहेगा ।

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