रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के नौंवे दिन गुरुवार को भोजनावकाश के बाद शिक्षा विभाग के अनुदान मांग पर चर्चा हुई। शिक्षा विभाग के अनुदान मांग पर लाये गये कटौती प्रस्ताव के समर्थन में भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कोविड काल में निजी विद्यालयों से फीस माफ नहीं करा पाए।
उन्होंने कहा कि जगरनाथ महतो टाइगर के नाम से जाने जाते हैं। वह लगातार निजी विद्यालयों को चिट्ठी लिखते रहे लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने उनकी बात नहीं मानी। साथ ही कहा कि चुनाव के दौरान निश्चय पत्र के जरिये झामुमो, राजद और कांग्रेस के द्वारा शिक्षा की स्तर में बेहतरी के लिए कई वादे किये गये थे लेकिन निश्चय पत्र पर कोई काम नहीं हुआ।
ओझा ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की स्तर ऐसी है कि शिक्षा मंत्री को अजीबोगरीब बयान देना पड़ता है। मंत्री कहते हैं कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर नहीं सुधरा तो निजी हाथों में इसके संचालन की जिम्मेवारी सौंप देंगे, जो कि दर्शाता है कि शिक्षा का स्तर क्या है। उन्होंने कहा कि जब झारखंड बना था, उस समय 53 प्रतिशत साक्षरता दर थी। 21 वर्षों में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार महज 36 प्रतिशत बढ़ा है। इसमें और सुधार की जरूरत है।
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