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न भाव में जीएं और न ही अभाव में, सदैव अपने स्वभाव में जीएं, तभी जीवन सार्थक : प्रदीप भैया

बाबानगरी देवघर के कबिलासपुर में आयोजित पांच दिवसीय हनुमान महोत्सव

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: सेवा फाउंडेशन के तत्वावधान में बाबा वैद्यनाथ की नगरी देवघर के कबिलासपुर स्थित टांडी गांव में हनुमान महोत्सव के चौथे दिन की हनुमंत कथा प्रदीप भैया के श्रीमुख से पूर्ण हुई। कथा में प्रदीप भैया ने सुंदरकांड का भाव पूर्ण चित्रण किया। उन्होंने सुंदरकांड के विभिन्न श्लोकों के माध्यम से कहा कि व्यक्ति को रोजाना जीवन के प्रत्येक दिन को बेहतरीन तरीके से जीना चाहिए।  प्रदीप भैया ने कहा कि न ही हमारे वश में जीवन है और न ही हमारे वश में मृत्यु है। इन दोनों के बारे में चिंतन करके व्यक्ति सिर्फ अपना समय बर्बाद करता है। हमें जीवन के रोजाना 24 घंटे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, प्रत्येक दिन जीवन को सर्वोच्च तरीके से जिया जाए। बाकी जीवन की व्यथा और कष्ट को श्री हनुमंत लाल के भरोसे छोड़ देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन को न ही अभाव में जीना चाहिए और न ही भाव में जीना चाहिए। जीवन तो सदैव अपने स्वभाव से जीना चाहिए। तभी व्यक्ति का जीवन सार्थक बन पाएगा। कथा में पूज्य प्रदीप भैया जी ने आगे यह भी कहा कि हनुमंत लाल जी बहुत ही अच्छे कथा वाचक भी हैं। हनुमान जी दुनिया के प्रथम श्री राम के कथा वाचक हैं। श्री हनुमंत लाल ने विभिन्न भाव में श्री राम की कथा लंका में रावण के पास, मां सीता के पास और विभीषण के पास भी कहा। उन्होंने कहा कि हम सब भगवान को देख पाने में अपने भाव प्रकट करते हैं। पूजा करने मंदिर जाते हैं और इसके साथ हम हिसाब भी जोड़ते हैं कि हमने इतना कुछ किया और उसका सुगंध अभी तक जीवन में नहीं आया। इन चीजों से बचकर जीवन में हमें एक नियम बना लेना चाहिए। बशर्ते वह नियम छोटा बनाया जाए, पर रोजाना पालन किया जाए। तभी जाकर जीवन सार्थक हो पाता है। उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात कही कि जीवन में जिसने जवानी में भजन नहीं किया, समाज के लिए काम नहीं किया, राष्ट्र की आराधना नहीं की वह यह सब कार्य बुढ़ापे में भी नहीं कर पाएगा। इस भव्य कथा को और भव्यता देती है प्रदीप भैया की कथा में लीन संगीत मंडली, जो अपने मधुर संगीत से श्रोताओं को आकर्षित कर लेती है। संगीत मंडली के सदस्य सुधीर, जयकांत, राघव, शशिकांत, आदित्य दुबे, नवनीत उपाध्याय को कथा के श्रोताओं ने आभार प्रकट किया। आज कथा के मुख्य आधार सेवक हनुमान थे। इस अवसर पर कथा में विशिष्ट रूप से शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. संजय कुमार ,डॉ. एनडी मिश्रा, डॉ. गोपाल वर्णवाल उपस्थित रहे और उनका मार्गदर्शन भी श्रोताओं को प्राप्त हुआ| इनके साथी परिमल सिंह जी ,अरुण शर्मा जी, डॉ सुधीर दत्त भारद्वाज, जैन साहब, विनीत टोकस, विनीश टोकस, सेवा फाउंडेशन के कार्यकर्ता और देवघर की श्रोता भी मौजूद थे|
कार्यक्रम के संयोजक मंडल ने तमाम श्रद्धालु तथा श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि कार्यक्रम अपने अंतिम पड़ाव की ओर है। ज्ञात हो 6 फरवरी कथा का आखिरी दिन है और उस दिन कथा में देश के प्रसिद्ध कथावाचक पूज्य विजय कौशल भी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही कथा के अंतिम दिन राज्य के प्रसिद्ध खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने राज्य तथा देश के मान को देश और विदेशों में बढ़ाया है। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तारा नाथ शाहदेव, वीणा, बिरजू साहा आदि खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाएगा।

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