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पारा शिक्षक मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा

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पारा शिक्षक मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को सदन में पारा शिक्षकों के मामले पर कार्य स्थगन मंजूर किये जाने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी की, जिसके कारण प्रश्नोत्तर काल नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के आसन ग्रहण करते ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने पारा शिक्षकों के मामले पर बोलना शुरू कर दिया। सभा अध्यक्ष ने विपक्षी दलों के सदस्यों को शांत होकर अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया। सभा अध्यक्ष ने कहा कि व्यवस्था को चलाने के लिए सभी के सकारात्मक सहयोग की आवश्यकता है। सदन की गरिमा को बनाये रखने के लिए भी सभी के सहयोग की जरूरत है। कुछ विधायक अपने पोशाक में स्लोगन लिखकर लेते आये थे , यह सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है। इसे गंभीरता से लेना चाहिए। झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने पारा शिक्षकों की मांगों को लेकर दिये गये कार्य स्थगन पर चर्चा करायी जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि 37-38 दिनों से लाखों बच्चे बिना पढ़ाई के हैं और यह गंभीर विषय है। इस पर भाजपा के राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि उन्होंने भी इस मुद्दे पर अपना ध्यानाकर्षण दिया है और इस पर चर्चा करायी जाने की जरूरत है। इसी दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के अनेक विधायक सदन के बीच में आकर कार्य स्थगन मंजूर किये जाने की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। तभी राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि यह मामला किसी एक दल का नहीं हैं, बल्कि यह पूरे सदन का मामला है और इस पर विशेष चर्चा होनी चाहिए। सभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से शांत होने का अनुरोध किया। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले 17-18 वर्षों में एक भी पारा शिक्षक की जाने नहीं गयी। लेकिन इस संवेदनहीन सरकार के समय अनेक शिक्षकों की जानें जा रही हैं। महिला और पुरुष पारा शिक्षकों के साथ क्रूरता का परिचय इस सरकार ने दिया है। इसी दौरान भाजपा के सदस्यों ने विशेष चर्चा कराये जाने की मांग को लेकर शोरगुल करना शुरू कर दिया। तभी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पारा शिक्षकों के मामले पर मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों के साथ वार्ता करना चाहती है और हम सदन में चर्चा करने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का नाम लिये बगैर कहा कि कोलेबिरा में लोगों ने देख लिया कौन किसके साथ है तथा कौन क्रूरता कर रहा है। सभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर आलमगीर आलम, जगरनाथ महतो, अरूप चटर्जी, भानू प्रताप शाही और प्रदीप यादव के कार्य स्थगन प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। इसके अलावा उन्होंने कुणाल षाडंगी तथा इरफान अंसारी के भी कार्य स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इस पर प्रदीप यादव ने कहा कि सदन के 21 सदस्य चाहते हैं कि इस मुद्दे पर कार्य स्थगन लिया जाये। अगर ऐसे मुद्दे पर कार्य स्थगन नहीं होगा, तो किन मुद्दों पर कार्य स्थगन लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि 13 पारा शिक्षकों की मौत हो गयी है और सत्ता पक्ष मामले को डायलुट करने के लिए ध्यानाकर्षण का प्रस्ताव दिया। इस पर सदन में शोर शराबा होने लगा। सभा अध्यक्ष ने सदन को अनियंत्रित होते देख सभा की कार्यवाही 11 बजकर 31 मिनट पर साढ़े 12 बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की बैठक जब दुबारा साढ़े 12 बजे शुरू हुई, तो एक बार फिर झामुमो के सदस्य अपनी मांगों को लेकर सदन के बीच में आकर नारेबाजी और हंगामा करने लगे। भाजपा के अनंत ओझा ने कहा कि सरकार चर्चा कराने को तैयार है। चर्चा होने दीजिए, लेकिन विपक्षी दल के सदस्य कार्य स्थगन से कम पर तैयार नहीं थे। इसी दौरान राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने विभिन्न संकल्पों को सदन पटल पर रखा। इसके बाद राज्य के संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के द्वितीय अनुपूरक बजट में सम्मिलित अनुदान की मांग को सदन पटल पर रखा। इस पर प्रदीप यादव ने 10 रुपये का कटौती प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद सभा अध्यक्ष ने भोजनावकाश के लिए निर्धारित समय से 18 मिनट पहले ही सभा की कार्यवाही दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी।

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