केंद्र लॉकडाउन से पहले मजदूरों की समस्या पर विचार करती तो भयावह स्थिति नहीं बनती
सिटी पोस्ट लाइव : वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित सिंह ने कहा कि देशभर में लगभग सात करोड़ मजदूर रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़ दूसरे राज्य में गये। अचानक लागू किए गए लॉकडाउन से इन सभी मजदूरो का जीवन प्रभावित हुआ है। लगभग 50 दिनों से ये परेशानियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया है कि लॉकडाउन से पहले मजदूरो की समस्या पर विचार किया जाता तो इस समय भयावह स्थिती नहीं बनती।
जिस तरह विदेशों में फंसे प्रवासी भारतीयों को सरकार लाने का सम्मुचित प्रबंध कर सकती है उसी इन मजदूरो को अपने घर भेजने की मुक्कम्ल व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि संसद भवन की नई इमारत बनाने पर 20,000 करोड़ प्रधानमंत्री के लिए 7 स्टार विमान पर 8,776 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इन्हें कुछ समय के लिए रोक कर, इन पैसों से गरीबों और मजदूरों की मदद करनी चाहिए। बाहर फंसे सभी प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए 28,000 ट्रेनों की जरूरत हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में फंसे मजदूरों को बिहार सरकार द्वारा राहत के नाम पर कोरी मदद की जा रही है। राहत के नाम पर जारी राशि का घपला जारी है। कोरोना वायरस जांच के बारे में उन्होंने कहा कि बिहार में कोरोना संक्रमत मरीजों की संख्या 589 के करीब पहुंच गई है। लेकिन अभी भी जांच की रफ्तार बहुत धीमी है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हुए कहा कि कोरोना महामाारी पर तभी लगाम लगाना संभव है जब तक वार्ड-पंचायत स्तर पर कोरोना की स्क्रीनिंग कर शॉटआउट नहीं किया जाता है। इसके लिए युद्ध स्तर पर सरकार को कोरोना की जांच करनी होगी। उन्होंने कहा कि धीमि गती के जांच होने से एक छोर पर संक्रमित प्रवासी मजदूर प्रवेश कर रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग 50 इिन लॉकडाउन के दौरान ही युद्ध स्तर पर कार्य कर जांच पूरी कर लेनी थी।
Comments are closed.