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आपातकालीन मेडिसिन के पर्याप्त विकास और गुणवत्ता सुधार के लिए सरकार प्रतिबद्ध

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आपातकालीन मेडिसिन के पर्याप्त विकास और गुणवत्ता सुधार के लिए सरकार प्रतिबद्ध

सिटी पोस्ट लाइव : भारत में “आपातकालीन मेडिसिन” के विकास के लिए और पहले से चल रही आपातकालीन मेडिसिन के व्यवस्था के गुणवत्ता सुधार के लिए भारत सरकार का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरीके से प्रतिबंध है और इसके लिए विभाग विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है। आपातकालीन मेडिसिन पर बेंगलुरु में हो रहे राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने यह बातें कही। इस सम्मेलन में कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री शिवानंद पाटील सहित आपातकालीन मेडिसिन से संबद्ध संस्थाओं के देश भर के प्रतिनिधियों और चिकित्सकों ने भाग लिया।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस अवसर पर भारतीय इमरजेंसी मेडिसिन सोसायटी को इसके लिए हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि “इमरजेंसी मेडिसिन जैसे बढ़ते हुए लोके महत्व के विषय पर वर्ष 2000 से ही लगातार इस सम्मेलन का आयोजन हो रहा है और यह संस्था राष्ट्रीय जनादेश के अनुरूप देश में आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल के लिए वर्ष 2011 से लगातार काम कर रही है।
1- ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ट्रेनिंग व रिसर्च का नेटवर्क तैयार करने के लिए तथा उन क्षेत्रों में इमरजेंसी सर्विस सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए
2 – देश में इमरजेंसी मेडिकल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्टेक होल्डर के साथ मिलकर रिसर्च करने के लिए तथा
3- इमरजेंसी मेडिसिन के क्षेत्र के लिए नए दिशा निर्देश और मानक तैयार करने का काम हो रहा है।

इसके माध्यम से पीड़ित मानवता की सेवा का महत्वपूर्ण काम हो रहा है। भारतीय मनीषियों की यह को यथार्थ रूप देने की कोशिश हो रही है-

न त्वहम कामये राज्यम
न स्वर्गम न पुनर्भवम
कामये दुःख तप्तानाम
प्राणिनाम आर्टिनाशनम।।”

श्री चौबे ने कहा कि “इस वर्ष केसम्मेलन में चर्चा के लिए 3 विषय रखे गए। ये है सहमति,विकास एवं इनोवेशन ( Consensus, Development एंड Innovation)। मुझे पूर्ण विश्वास है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में संस्था सफल होगी।भारत सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से तथा अपनी कई केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध है।भारत में इमरजेंसी मेडिसिन सर्विसेज की विधिवत शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से वर्ष 2005 में हुई। इस समय देश के 31 राज्यों और सभी केंद्र शासित प्रदेशों में 108 तथा 102 नंबर डायल कर एंबुलेंस बुलाने की सुविधा है। एंबुलेंस सेवा प्रमुख रूप से गंभीर स्वास्थ्य चिकित्सा (108)के लिए स्थापित यह गई है तथा गर्भवती महिलाओं और रूग्ण बच्चों (102) को भी अस्पताल में भर्ती करवाने की व्यवस्था की गई है। इस समय भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 102 तथा 108 को मिलाकर 18583 एंबुलेंस काम कर रही है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र तथा राज्य सरकारों की भी और एंबुलेंस सेवाएं राम कर रही हैं।”

केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने कहा कि हमारे संविधान अनुसार जीवन जीने का अधिकार सर्वोच्च है। हेल्थकेयर, विशेष रूप से इमरजेंसी हेल्थकेयर भारत जैसे विश्व के दूसरे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है परंतु हमारी सरकार अपने नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं व बेहतर जीवन शैली प्रदान करने के लिए लगातार काम कर रही है आयुष्मान भारत इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मैं मानता हूं कि विश्व के उन्नत देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड और इजराइल ऐसी इमरजेंसी मेडिकल व्यवस्था अभी देश में स्थापित करना हमारे लिए एक चुनौती है। यह चुनौती तब और भी विकट हो जाती है जब हमारे देश में करीब 9.2% मौतें दुर्घटनाओं के कारण होती है। एक वर्ष में हमारे देश में करीब 150785 मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में यह चुनौती विशेष है क्योंकि जो मौतें होती हैं वह ज्यादातर 15 से 49 आयु वर्ग के लोगों की होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार ने केंद्रीय योजना बनाई है जिसके तहत नेशनल हाईवे पर स्थापित सरकारी अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करना शामिल है।अभी तक हमने कुल 2001 विभिन्न स्तर के ट्रॉमा सेंटर देशभर में स्थापित किए हैं। इसके अलावा 30 ट्रॉमा सेंटर वर्ष 2020 तक देशभर में स्थापित करने का प्रस्ताव है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत हमने एक ऐसी योजना शुरू की है जिसके तहत प्रत्येक मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल डिपार्टमेंट खोले जाएंगे। इन योजनाओं और एंबुलेंस सेवाओं के माध्यम से हम इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना प्रारंभ करेंगे।”

इस सम्मेलन में कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री शिवानंद एस पाटील एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर इंडिया के अध्यक्ष डॉ. एलेग्जेंडर थॉमस, इमरजेंसी फिजिशियंस एसोसिएशन, टर्की के अध्यक्ष डॉ. बशर चंदेर, अपोलो हॉस्पिटल्स के हॉस्पिटल डिवीजन के अध्यक्ष डॉ. हरिप्रसाद, एम आई के अध्यक्ष डॉ. इमरान सुभान एस ई एम आई(Semi- Society Of Emergency Medicine India) के एकेडमिक काउंसिल के चेयरमैन डॉ. तमोरिष कोले सहित विभिन्न विशेषज्ञता वाले संस्थानों के डॉ. श्रीनाथ, डॉ अरुणा, प्रोफ़ेसर माबेल वासनिक, डॉ. निशांत, डॉ. शालिनी, डॉ. राहुल सिंह, डॉक्टर मोहन, डॉ. निश्चल, डॉ. हर्षिता, डॉ. अरुण रमेश सहित देश भर से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने विचार प्रकट किए।

विकाश चन्दन की रिपोर्ट

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