सिटी पोस्ट लाइव : इस वक्त की बड़ी खबर पटना से आ रही है। आरएलएसपी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने आरएसएसपी से इस्तीफा दे दिया है। इसे उपेंद्र कुशवाहा को एक और बड़ा झटका लगा है। एक सप्ताह के अंदर आरएलएसपी के कई नेता कुशवाहा का साथ छोड़ चुके हैं । आपको बता दे कि आरएलएसपी के महासचिव माधव आनंद देर रात तेजस्वी यादव से मिलने के लिए राबड़ी देवी के आवास पहुंचे थे।
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उन्होनेें कहा कि मैं अर्थशास्त्री हूं, युवाओं की आवाज हूं उन्होनें कहा कि मुझे लगा कि आरएलएसपी में रहकर में युवाओं की आवाज बुलंद नहीं कर सकता था। बड़े उदेश्य की प्राप्ति के लिए बड़े कदम उठाने पड़ते हैं। उन्होनें कहा कि आरएलएसपी से मेरा दिल का रिश्ता है मैनें उस पार्टी कोे सींचा है। वहीं चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होनें कहा कि चुनाव लड़ना मेरा उदेश्य नहीं है। वहीं अपने अगले कदम पर उन्होनें कहा कि एक दिन का इंतजार कीजिए कल सबकुछ क्लीयर हो जाएगा।
तय तो उसी वक्त हो चुका था कि माधव आनंद RLSP छोडेंगे मंगलवार की दोपहर में अपने नेता उपेंद्र कुशवाहा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बसपा और रालोसपा गठबंधन का गुण गा रहा थे। लेकिन रात के अंधेरे में मुंह छुपाते हुए अचानक उनकी नजर राबड़ी आवास के बाहर कैमरे से लड़ गयी। कैमरा देखते ही माधव आनन्द के भीतर चल रहे बेचैनी का पोल खुल गयी थी।
बता दें कि मंगलवार की रात सबसे पहले माधव आनद सिटी पोस्ट लाइव के कैमरे को देखकर मुंह छुपाने लगे और बाद में कहा कि तेजस्वी यादव से मेरे व्यक्तिगत संबंध है। इसलिए तेजस्वी यादव से मिलने आया हूं। मैं जब भी दिल्ली से पटना आता हूं, तो तेजस्वी यादव से मिलता हूं, ये बात उपेंद्र कुशवाहा को भी पता है। अगर आपको ये खबर दिखाना है तो दिखा दीजिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमने तेजस्वी यादव के साथ अंदर बात की है। साथ कॉफी भी पी।
गौरतलब है कि कुशवाहा के तथाकथित वफादार सिपाही माधव आनन्द राजनीति के बेचैन आत्मा की तरह कभी नीतीश, कभी कुशवाहा तो अब तेजस्वी के जयकारा में लगे हैं। बता दें की आनन्द जी को 2019 में सांसद के टिकट मिलने का आनंद नहीं मिल पाया था। ऊपर से उपेंद्र कुशवाहा के करीबी ने गम्भीर आरोप भी लगाए थे। फिर बेचारे राज्यसभा जाने का स्वप्न देखने लगे। खैर स्वप्न देखना बुरी बात नहीं है। लेकिन बेचारे माधव आनंद का आनंद फिर बिखर गया।इसके बाद विधान परिषद जाने के चक्कर में इन्होंने नया तराना छेड़ा। लेकिन वह ख्वाब भी ध्वस्त हो गया। अब छटपटाहट है विधायक बनने की। बेचारे करें तो क्या करें?
Comments are closed.