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दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों की मदद के लिए वरीय पदाधिकारियों की टीम भेजी जाएं: बाबूलाल

मुख्यमंत्री को लिख पत्र, चार्टर प्लेन से पदाधिकारियों को भेजने की दी सलाह

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दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों की मदद के लिए वरीय पदाधिकारियों की टीम भेजी जाएं: बाबूलाल

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर यह यह सुझाव दिया गया है कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए वरीय पदाधिकारियों की टीम भेजी जाएं। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि  प्रवासी श्रमिकों को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से वरीय पदाधिकारियों की टीम बनाकर उन शहरों में भेजी जाएं, जिन शहरों मे झारखण्ड के श्रमिक बहुतायत संख्या में श्रमिक काम करते हैं । उन्होंने चार्टर-प्लेन से पदाधिकारियों को भेजा जाय, जहाँ संबंधित राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क स्थापित कर श्रमिकों की पहचान करके उन्हें भोजन, राशन, दवा एवं अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराए ताकि झारखण्ड के श्रमिक भूखे नहीं रहे एवं बीमार होने की स्थिति मे स्थानीय अस्पताल में अपना इलाज करा सके।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज देश भी वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से गुजर रहा है, इस महामारी के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रही है, इसी निमित केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी को पूर्ण नियंत्रण करने के उद्देश्य से पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया है। राज्य के सभी जिलों से लाखों श्रमिक राज्य के बाहर यथा सूरत, दिल्ली, हैदराबाद, गुरूग्राम, अहमदाबाद, मुम्बई, पूणे, बैंगलोर, जयपुर, गाजियाबाद , इत्यादि कई जगहों पर काम करके अपना जीविकोपार्जन करते हैं। कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के उद्देश्य से पूरे देश में विगत 25 मार्च से लॉकडाउन हो जाने के फलस्वरूप लाखों श्रमिकों के सामने थोड़ी समस्या उत्पन्न हुई है। झारखण्ड के लाखों श्रमिक देश के विभिन्न शहरों मे संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। छोटे मोटे उद्योग एवं कल-कारखानों मे काम करके अपना जीवन-यापन करते आ रहे थे।  महामारी से उबरने के उद्देश्य से लॉकडाउन किए जाने की स्थिती में हजारों श्रमिक सभी जन-प्रतिनिधियों को फोन करके खाने रहने एवं राहत सामग्री उपलब्ध कराने का आग्रह कर रहे हैं।

राज्य सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को राहत पहुचाने के उद्देश्य से  गठित नियंत्रण कक्ष के हेल्पलाईन नंबर पर और उनके मोबाईल फोन और आवासीय कार्यालय मे काम कर रहे पदाधिकारी- कर्मचारी के मोबाईल फोन पर श्रमिकों के सैकडों़ फोन आ रहे हैं और खाने-पीने एवं रहने की समस्या से अवगत करा रहे है। जहाँ तक मुझे जानकारी है कि हजारां श्रमिक अपने-अपने क्षेत्रों के विधायक-सांसद को भी फोन कर खाने-पीनें एवं रहने की समस्या से अवगत करा रहे हैं। जहाँ तक संभव हो रहा है, वहाँ की सरकारी व्यवस्था से श्रमिकां को कुछ राहत भी मिल रही है एवं पार्टी संगठन, व्यक्तिगत स्तर पर और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी श्रमिकों को भोजन, राशन की व्यवस्था यथा संभव  किया जा रहा है, लेकिन श्रमिकों के जरूरत के हिसाब से  यह पर्याप्त नही है। अभी पूरे देश में और 18 दिन तक लॉकडाउन  रहेगी ऐसी स्थिति मे श्रमिकों के लिए भोजन, एवं राशन की जरूरत और बढ़ेगी।

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