महिलायें सशक्त ही पैदा होती हैं, समाज को सोच बदलनी होगी: प्रो. रेखा सिंघल
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) की प्रोफेसर रेखा सिंघल ने कहा कि महिलाएं सशक्त ही पैदा होती हैं, समाज उनके प्रति यदि अपनी सोच और नजरिया बदल दे तो हमें और ज्यादा कुछ करने की जरूरत न पड़ें, और वो अपना मनचाहा मुकाम खुद हासिल कर लेंगी। सिंघल शुक्रवार को आईआईएम रांची परिसर में महिला सशक्तीकरण , कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा खेलों में भागीदारी विषयों पर केंद्रित विशेषज्ञों की राउंड टेबल परिचर्चा में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि समाज को यह अवश्य सीखना चाहिए कि उस सशक्त बालिका के साथ कैसा व्यवहार किया जाय। महिला सशक्तीकरण, महिला को नहीं बल्कि समाज को करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि लड़कियों की बढ़ती उम्र के साथ ही उनके परिवार और समाज द्वारा अनेकों बंदिशें लगानी शुरू हो जाती है, जिससे उनका बहुमुखी विकास अवरूद्ध हो जाता है।
आर्थिक सशक्तीकरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि खुद को आत्म निर्भर बनाने के सिवाय इसका और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि आर्थिक आत्म निर्भरता ही उन्हें आत्म सम्मान और खुद की पहचान दिलाती है। कौशल विकास एवं महिला उद्यमिता पर चर्चा करते हुए हुए उन्होंने कहा कि वह जन्मजात ही उद्यमशील होती हैं। घर से लेकर समाज के हर क्षेत्र में वह पुरुषों से बेहतर प्लानिंग करती हैं। खेलों में महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही लड़कियों के खेलने पर सामाजिकता के बहाने तरह तरह की बंदिशें लगाना शुरू कर देते हैं। प्रोफेसर सिंघल ने लड़कियों के खेलों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए फिर से समाज में सकारात्मक सोच लाने की बात कही।
जेवियर्स कॉलेज की प्रोफेसर लेफ्टिनेंट प्रिया श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाओं को भी आर्म्ड फोर्सेज में आना चाहिए। उन्होंने महिलाओं को कहा कि सेना की सेवा से हमें संघर्ष करने की शक्ति मिलती है। कोई भी व्यक्ति सेना में अपनी सेवा दे सकता है, जैसे एनसीसी के जरिये हम देश सेवा कर सकते है। इससे समाज में हमारी एक अलग पहचान बनती है। प्रो० श्रीवास्तव ने कहा कि समाज महिला के खेलों एवं उससे सम्बंधित खबरों में ज्यादा रूचि नहीं दिखाता है, जबकि हमें महिलाओं की खेलों में भागीदारी बढ़ाने के लिए उचित मंच एवं अवसर प्रदान करते हुए उनका समुचित सम्मान करना चाहिए। मौके पर मेकॉन की जीएम एमएम दासगुप्ता ने कहा कि हमने देखा है कि किसी भी संस्था में स्वैच्छिक कार्यों के लिए महिलायें ज्यादा आगे और तत्पर रहती हैं। वर्तमान में संस्थायें एक महिला को भी समान अवसर प्रदान कर रहीं है यह आप पर निर्भर है कि आप इसे अपने कार्यों और मेहनत से अपने लिए इस्तेमाल करें।
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