खूंटी: प्रशासन के जागरूकता अभियान का दिख रहा असर
सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: वैसे तो खूंटी जिले में अफीम की खेती का पुराना नाता रहा है। जिला गठन के बाद से जिले के तीन प्रखंडों खूंटी, मुरहू और अड़की में पोस्ते(अफीम) की अवैध खेती शुरू हो गयी थी। जैसे-जैसे दिन बीतता गया, इस मादक पदार्थ की खेती और कारोबार को दायरा बढ़ने लगा और स्थिति ऐसी है कि सभी छह प्रखंडों में इसकी अवैध फसल उगायी जा रही है। पुलिस की कार्रवाई नहीं होने से बिहार, उत्तर प्रदेष, पलामू, चतरा, लातेहार सहित अन्य जिलों के अफीम तस्कर यहां के किसानों को मोटी रकम का लालच देकर उनसे इसकी खेती कराने लगे, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा, तब पुलिस की नींद खुली और उसने 2017 से अफीम की खेती और कारोबार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इसका परिणाम रहा कि 2018 की तुलना में 2019 में अफीम की कम खेती हुई। पिछले तीन वर्षों में पुलिस ने इस मामले में 142 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें 18 अभियुक्तों को अदालत सजा भी सुना चुकी है। पुलिस जनवरी 2020 तक 3432 एकड़ भू खंड में लगी अफीम की फसल को नष्ट कर चुकी है। 2010 में 30 एकड़, 2017 में 1550 एकड़, 2018 में 1144 और 2019 में 710 एकड़ क्षेत्रफल की खेती पुलिस ने नष्ट की। 2017 से अब तक पुलिस ने 285 किलो अफीम, 3790 किलो डोडा के अलावा 37 लाख, 80 हजारर 850 रुपये नकद बरामद कर चुकी है। नषे के इस कारोबार में प्रयुक्त 13 कार, एक ट्रक, दो पिक अप वैन, 13 मोटरसाइकिल और 45 मोबाइल पुलिस ने जब्त किया है।
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बीमारियों से हो रही है मौत
जानकार बताते हैं कि जिन इलाकों में पोस्ते की खेती की जा रही है, उन क्षेत्रों में अज्ञात बीमारियों से कई लोगों की मौत हो चुकी है, पर परिजन अफीम से मौत की जानकारी किसी को नहीं देते। बताया जाता है कि कई मवेशियों की भी मौत हो चुकी है। जहर की इस खेती के खिलाफ जिला और पुलिस द्वारा गांवों और शहरों में लगातार जन जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। लोगों को अफीम से होनवाली हानि के अलावा कानूनी प्रावधानों के बारे में भी लोगों को बताया जा रहा है। इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला और अफीम का खेती का दायरा लगातार घट रहा है।
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