आदिम जनजाति परिवारों के लिए बने आवास व शौचालय की स्थिति जर्जर
सिटी पोस्ट लाइव, चतरा: केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आदिम जनजाति बिरहोर के उत्थान को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही है। किन्तु चतरा के सेहदा गांव स्थित बिरहोर कॉलोनी में न तो पानी की व्यवस्था है न ही सड़क की और इसके अलावा जो शौचालय और आवास बने हैं वह भी काफी जर्जर और बेकार हो चुके हैं। अब नई सरकार से बिरहोर परिवारों को काफी उम्मीदें हैं कि सब कुछ सामान्य हो जाएगा और उनके घरों तक पानी भी मिलेगी, शौचालय भी मिलेगा और बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था भी होगी। जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आदिम जनजाति की यह बस्ती सेहदा गांव। करीब सात सौ की आबादी वाले बिरहोर परिवारों की स्थिति काफी दयनीय है। इस गांव में सरकार की सबसे महात्वाकाक्षी योजना शौचालय बेकार हो चुके हैं। इसके अलावे इनके घरों की स्थिति भी काफी जर्जर है।
हालांकि पीने के लिये पानी की व्यवस्था की गयी थी लेकिन पिछले चार वर्षों से पानी की टंकी भी शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है। सबसे हैरानी की बात है कि इनका घर भी टूटकर पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है। कंगाली की जीवन जीने वाले परिवारों के लिए अब नयी सरकार से उम्मीदें बढ़ गई हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से आदिम जनजाति परिवारों के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ शायद इन परिवारों तक नहीं पहुंच पाता हैद्य गांव की सरिता बिरहोरिन और बबीता बिरहोरिन का कहना है कि योजनाओं का काम सही ढंग से नहीं हो पाता है। हालांकि चतरा के सीओ जामुन रविदास का कहना है कि इन्हें प्रत्येक माह चावल दिया जाता है। हालांकि मुलभूत सुविधाओं के बारे में कहा कि संबंधित विभाग को जानकारी देकर इनकों दी जाने वाली सारी सुविधाएं शीघ्र ही मुहैया कराई जायेगी।
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