टिकट को लेकर भाजपा, कांग्रेस समेत कई तमाम बड़े दलों में असंतुष्ट नेताओं ने बगावत के दिये संकेत
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम बड़े दलों में असंतुष्ट नेताओं ने बगावत के संकेत दिए हैं। भाजपा के 53 उमीदवारों की जारी सूची में 10 विधायकों के टिकट काट दिये गए। इससे काफी असंतोष है और कई जगहों पर संभावित उमीदवारों ने बागी तेवर अपना लिया है। कुछ ने तो पार्टी से विद्रोह करते हुए नामांकन तक दाखिल कर दिया। इनमें कई ने दूसरे दलों में जाने की घोषणा की है तो कुछ ने समय आने पर पत्ते खोलने की बात कही। टिकट कटने से नाराज नेताओं में कई विधायक और दिग्गज शामिल हैं। कुणाल षाड़ंगी को टिकट मिलने के बाद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. दिनेशानंद गोस्वामी ने मीडिया से कहा कि 5 साल तक जनता के बीच रहा, फिर भी बाहरी को मौका दिया गया। इसका मलाल है। चुनाव से ठीक पहले विरोधी पार्टी के विधायक ने पाला बदल लिया और चुनाव लड़ने की उनकी संभावना समाप्त हो गई। भारतीय जनता पार्टी के सधनु भगत ने पार्टी से विद्रोह करते हुए भारतीय ट्राइबल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोहरदगा से पर्चा दाखिल किया है। सिंदरी से भाजपा विधायक फूलचंद मंडल ने टिकट नहीं मिलने पर बगावती तेवर अपना लिया है। उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा का चुनाव पांच चरणों में है। पहले चरण में 13 सीटों पर 30 ऩवंबर को वोटिंग होगी। इसके अलावा दूसरे चरण में 7 दिसंबर को 20, तीसरे चरण में 12 दिसंबर को 17, चौथे चरण में 16 दिसंबर 15 तथा पांचवें व अंतिम चरण में 20 दिसंबर 16 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा।
राधाकृष्ण किशोर ने छोड़ी पार्टी, आजसू से किया नामांकन
टिकट से वंचित होने पर भाजपा विधायक और मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर ने पार्टी छोड़ दी और आजसू के सिंबॉल पर पाटन-छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन किया। पार्टी के इंटरनल सर्वे रिपोर्ट और खराब परफॉर्मेंस के कारण उनका टिकट काटकर उनकी जगह पर पूर्व सांसद मनोज भुइयां की पत्नी पुष्पा देवी पर भाजपा ने भरोसा जताया है।
भवनाथपुर से अनंत प्रताप देव हुए बागी
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से अनंत प्रताप देव ने भाजपा से विद्रोह करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया है। नामांकन के वक्त जुटने वाली भारी भीड़ से वे काफी उत्साहित हैं। पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में अनंत प्रताप देव ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और मात्र 2600 वोट से हारे थे। उन्हें नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रतापी शाही ने हराया था। अनंत प्रताप पहले कांग्रेस पार्टी में थे लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के नामांकन के ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया और भाजपा में आ गये थे। इसबार भी वे सशक्त दावेदार माने जा रहे थे और टिकट की रेस में भी थे लेकिन भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
हुसैनाबाद से भाजपा के विनोद सिंह ने भरा निर्दलीय पर्चा
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की हुसैनाबाद विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी नहीं दिया। भाजपा ने आज 12 नवंबर को दूसरी सूची जारी की लेकिन उसमें सिर्फ एक ही नाम लोहरदगा से सुखदेव भगत का था। हुसैनाबाद का जिक्र नहीं था। पार्टी के संभावित प्रत्याशियों को उम्मीद थी कि अंतिम दिन बुधवार को नाम की घोषणा कर दी जायेगी लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसके बाद भाजपा के संभावित प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह ने पूरे तामझाम के साथ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया।
डालटनगंज से भाजपा संजय सिंह ने निर्दलीय पर्चा भरा
डालटनगंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के संजय सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया। भाजपा ने आलोक चौरसिया को टिकट दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव 2014 में आलोक ने झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते भी थे, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा ज्वॉइन कर ली और रघुवर सरकार ने उन्हें मार्केंटिंग बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले भाजपा नेता संजय सिंह काफी पहले से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे। टिकट नहीं मिलने की स्थिति में उन्होंने निर्दलीय भाग्य आजमाने का फैसला किया।
पूर्व मंत्री बैद्यनाथ राम झामुमो में हुए शामिल
टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व मंत्री बैद्यनाथ राम ने 11 नवंबर की रात भाजपा का दामन छोड़ झामुमो की सदस्यता ग्रहण की। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बैद्यनाथ राम का पार्टी में स्वागत किया। झामुमो की सदस्यता ग्रहण करते ही बैद्यनाथ राम ने राज्य सरकार पर निशाना साधा और रघुवर की सरकार को घोषणाओं की सरकार बताया। बैद्यनाथ अब लातेहार विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
जरमुंडी से सीताराम, जामा से राजू हुए बागी
जरमुंडी विधानसभा से भाजपा के टिकट के दावेदारों में पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सीताराम पाठक भी थे, लेकिन यहां से पार्टी ने हंडवा स्टेट के राज परिवार से संबंध रखने वाले पूर्व विधायक देवेन्द्र कुंवर को अपना प्रत्याशी बनाया। देवेन्द्र वर्ष 1995 में झामुमो एवं 2000 में भाजपा के टिकट से जरमुंडी विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं। टिकट नहीं मिलने से आहत सीताराम ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। 12 नवंबर को बासुकीनाथ धाम में पूजा.अर्चना के बाद सीताराम अपने चुनावी अभियान का शुभारंभ करेंगे। इसी तरह जामा विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व प्रखंड मंडल अध्यक्ष राजू पुजहर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
जामताड़ा से पूर्व विधायक विष्णु भैया ने छोड़ी पार्टी
विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज जामताड़ा के पूर्व विधायक विष्णु प्रसाद भैया ने पार्टी छोड़ दी। कहा, भाजपा को हराने के लिए खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे या किसी ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ाएंगे, जो क्षेत्र का विकास दिन दुनी और रात चौगुनी करें। वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या किसी पार्टी के टिकट पर, इसका खुलासा एक-दो दिनों में कर देंगे।
पाकुड़ भाजपा जिलाध्यक्ष ने थामा झामुमो का दामन
झाविमो से भाजपा में आये मिस्त्री सोरेन को टिकट मिलने के विरोध में पाकुड़ के भाजपा जिलाध्यक्ष देवीधन टुडू ने झामुमो का दामन थाम लिया। इससे पहले 11 नवंबर को ही टुडू ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि प्रदेश नेतृत्व ने उसे अस्वीकार कर दिया था। टुडू महेशपुर विधानसभा सीट से तीसरी बार टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे। टुडू 2009 और 2014 में महेशपुर सीट से भाजपा के टिकट पर लड़े थे, पर हार गए।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी समय आने पर खोलेंगे पत्ता
दो बार से बोरियो विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी का टिकट कटने से उनके समर्थकों में मायूसी है। टिकट कटने के बाद उन्होंने तत्काल प्रतिक्रिया दी थी कि काल और परिस्थिति को देख कर ही कोई उचित निर्णय लिया जाएगा। संताल परगना में पांचवें चरण में चुनाव होना है। अभी यहां अधिसूचना जारी होने में भी एक पखवारे से अधिक का समय है। जल्दबाजी में उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाएंगे। ताला मरांडी बोरियो विधानसभा से वर्ष 2005 और 20014 में दो बार चुनाव जीते हैं। संताल परगना में कभी वह भाजपा का चेहरा हुआ करते थे।
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