City Post Live
NEWS 24x7

16 साल की उम्र से हथियार से खेल रहा रियाज़, सुशील श्रीवास्तव ने गैंग में किया था शामिल

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

16 साल की उम्र से हथियार से खेल रहा रियाज़, सुशील श्रीवास्तव ने गैंग में किया था शामिल
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: झारखंड का मोस्ट वांटेड रियाज अंसारी कलम पकड़ने की उम्र से ही हथियार से खेल रहा है। उसका आपराधिक इतिहास इतना डरावना है कि अगर किसी के सामने उसके जीवन का कुछ पल बयां कर दिया जाए तो उसके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। रियाज अंसारी ने गोली चलाना तो 14 साल की उम्र से ही शुरू कर दिया था, लेकिन 16 साल की उम्र में उसने श्रीवास्तव गैंग के लिए पहली गोली चलाई थी। इस वारदात को अंजाम देने के बाद खुद सुशील श्रीवास्तव ने रियाज अंसारी के सिर पर हाथ रखा। सुशील श्रीवास्तव ने ही उसे गैंग में शामिल कर लिया। इसके बाद रियाज अंसारी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। रंगदारी के लिए जहां भी व्यापारियों ने अनाकानी की, सुशील श्रीवास्तव के एक इशारे पर रियाज अंसारी दर्जनों गोलियां बरसा देता था। धीरे-धीरे उसका आतंक इस कदर फैला किया झारखंड का मोस्ट वांटेड हो गया। रियाज अंसारी ने पांडे गिरोह के कई सदस्यों पर भी गोलियां चलाई हैं। 2012 में सुशील श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद रियाज अंसारी ने ही गैंग की कमान संभाली थी। इसने ऐसे कई शूटर पैदा कर लिए थे जो इसके लिए रामगढ़, रांची, हजारीबाग, चतरा व अन्य जिलों में तमंचे चमकाते थे। जरूरत पड़ने पर इसकी टीम गोली चलाने से भी पीछे नहीं हटती थी। रियाज अंसारी की वर्तमान उम्र 28 वर्ष है और उसके ऊपर सैकड़ों मामले विभिन्न जिलों में दर्ज हैं। 35 मामले तो सिर्फ अकेले रामगढ़ जिले में ही दर्ज हैं। हजारीबाग, चतरा, रांची के अलावा बिहार और बंगाल के कुछ जिलों को जोड़ दिया जाए तो इसके ऊपर दर्ज मामले शतक लगा देंगे। मंगलवार को रामगढ़ एसपी प्रभात कुमार ने रियाज अंसारी के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2008 में इसने गैंगवार की दुनिया में कदम रखा था। श्रीवास्तव गैंग में उसे अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध हुए। किशोरावस्था में इसने डॉन बनने की चाहत में कई लोगों पर गोली चलाई। रंगदारी वसूली के लिए 9 मई और 30 मई 2008 को इसने पतरातू इलाके को गोलियों की तड़तड़ाहट से गुंजा दिया था। उस वक्त भी दो ठेकेदारों पर गोली चलाई गई थी। इसके बाद रियाज एकबार गिरफ्तार भी हुआ। सुशील श्रीवास्तव ने उसे जमानत पर बाहर निकलवाया। इसके बाद रियाज ने लगातार अपना ठिकाना बंगाल में रखना शुरू कर दिया। जब भी झारखंड में श्रीवास्तव गिरोह को इसकी जरूरत पड़ती थी उसे बुलाया जाता था। अपराध को अंजाम देने के बाद रियाज फिर से बंगाल में जाकर छुप जाता था। कई व्यवसायियों को तो उसने बंगाल से ही फोन पर धमकी भी दी थी। इसबार भी उसे गिरफ्तार करने के लिए झारखंड पुलिस को कई बार बंगाल का चक्कर लगाना पड़ा।  पतरातू से सटे इलाके बरका सयाल, उरीमारी, बड़कागांव और टंडवा क्षेत्र रियाज के लिए आसान टारगेट था। इन इलाकों में गोलीबारी कर वह आराम से निकल जाता था। रामगढ़ जिले में बुदुल हत्याकांड और बबलू सोनकर हत्याकांड में भी रियाज अंसारी का नाम सामने आया था। लगभग 10 वर्षों के बाद रियाज पुलिस के हत्थे आया है। पुलिस की रिकॉर्ड में श्रीवास्तव गैंग की लिस्ट में सुशील श्रीवास्तव के बाद दूसरा बड़ा नाम रियाज अंसारी का ही था। इसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उम्मीद है कि इस गैंग के लगभग सारे सक्रिय सदस्य सलाखों के पीछे होंगे। साथ ही रामगढ़ जिले में आपराधिक गतिविधियों में कमी भी आएगी।

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

Comments are closed.