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खूंटी कोचांग रेप कांड में फादर अल्फांसो दोषी करार

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खूंटी कोचांग रेप कांड में फादर अल्फांसो दोषी करार

सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: कोचांग रेप कांड मामले में मंगलवार को खूंटी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार की अदालत में आरोप सिद्ध करते हुए चार अभियुक्तों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किया है। कोर्ट ने फादर अल्फांसो को षड्यंत्रकारी मानते हुए उनका जमानत रद्द कर दिया एवं उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मामले में कोर्ट 15 मई को सजा सुनाएगी। यह जानकारी प्रभारी लोक अभियोजक सुशील जायसवाल ने दी।

सात लोगों को बनाया गया था अभियुक्त
गैंग रेप कांड मामले में जाॅन जुनास तिडू, बलराम समद, जूनास मुंडा, बाजी समद उर्फ टकला, आशीष लूंगा, फादर अल्फांसो आईंद एवं नोएल सांडी पूर्ती को अभियुक्त बनाया गया था। मामले में एक अभियुक्त जुवेनाइल घोषित हुआ है एवं एक अन्य अभियुक्त नोएल सांडी पूर्ति के खिलाफ अनुसंधान जारी है। जिसमें मंगलवार को न्यायालय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार की अदालत ने फादर अल्फांसो आईंद जो पूर्व से जमानत पर थे, उनका जमानत रद्द करते हुए उन्हें इस केस में षड्यंत्रकारी के रूप में दोषी मानते हुए जेल भेज दिया है। साथ ही तीन अभियुक्तों को भी दोषी पाया गया एवं सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए तारीख निश्चित की गई। न्यायालय 15 मई को सजा सुनाने की तिथि निश्चित की है। जॉन जूनास तिडू एवं बलराम समद जो पत्थरगढ़ी के समर्थक थे, इनकी भी संलिप्तता इस कांड में पाई गई तथा उन्हें न्यायालय ने उत्प्रेरक के रूप में दोषी पाकर भादवि की धारा 109 एवं 111 में के तहत दोषी करार दिया है। प्रभारी लोक अभियोजक ने बताया कि मामले में एक अभियुक्त को जुवेनाइल घोषित किया गया है एवं मामले लंबित है। मामले में आशा किरण संस्था की भूमिका एवं सिस्टर रंजीता व सिस्टर विनीता के संबंध में अनुसंधान जारी है। मामले में 19 लोगों की गवाही दर्ज हुई थी एवं 11 महीनों के भीतर कोर्ट ने अभियुक्तों को चार्ज फ्रेम किया है। इस पूरे मामले में सरकार की ओर से लोक अभियोजक सुशील कुमार जायसवाल ने दलीले दी। जबकि बचाव पक्ष की ओर से हाईकोर्ट के वकील केबी सांगा एवं शुभाशिष सोरेन ने पैरवी की।

19 जून 2018 का है मामला

फादर अल्फांसो को 12 मार्च 2019 को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश एबी सिंह की अदालत ने सशर्त जमानत दी थी। फादर अल्फांसो को निचली अदालत की अनुमति के बिना खूंटी जिला छोड़कर न जाने और अदालत में अपना पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया था। 19 जून 2018 को खूंटी के अड़की स्थित कोचांग में सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने गयीं पांच लड़कियों के साथ दुष्‍कर्म का मामला सामने आया था।

मामले में फादर की भूमिका रही थी संदिग्ध
मामले में स्टॉपमन मेमोरियल मिडिल स्कूल के फादर अल्फांसो आईंद की भूमिका संगीन रही थी। उसके सामने से लड़कियां अगवा की गईं। अगवा होते लड़कियों से फादर ने कहा था, चली जाओ, कुछ नहीं होगा। बाद में लड़कियां सामूहिक दुष्कर्म की शिकार होकर वापस लौटीं तो फादर को पूरी आपबीती बताई। इस पर भी फादर ने कहा कि चुप रहो। सब कुछ भूल जाओ। फादर नहीं रुके। वे उसके बाद मामले को मैनेज करने। पुलिस तक सूचना न पहुंचे, इसके जतन में भी जुट गए। फादर के कारण पुलिस को 24 घंटे के बाद खबर मिली थी।

युवक लड़कियों को ले जा रहे थे, फादर ने नहीं रोका
एक पीड़िता ने दैनिक भास्कर को बताया था कि 19 जून की दोपहर 12:30 बजे हम लोग कोचांग के स्टॉपमन मध्य विद्यालय में बच्चों के बीच नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर रहे थे। 15 मिनट बाद दो बाइक पर सवार पांच लोग वहां पहुंचे। उनकी उम्र 25 के आसपास थी। वे बोले-पुलिस की मुखबिरी करती हो। हम लोगों ने कहा कि हमारा काम सिर्फ लोगों को जागरूक करना है। इसके बदले हमें पैसा मिलता है। इतना सुनते ही तीन युवकों ने पिस्तौल निकाल ली और धमकाकर गाड़ी में बैठने को कहा। एक युवक ने वहां खड़ी दोनों सिस्टर को भी गाड़ी में बैठने के लिए कहा। तभी वहां खड़े फादर ने कहा कि शी इज नन, इन्हें छोड़ दो। हम लोग गिड़गिड़ाने लगे, माफी मांगी कि अब कभी इस गांव में नहीं आएंगे। लेकिन वे रुके नहीं। फादर ने भी मदद नहीं की।

पुलिस ने की थी पीड़िता के दावे की पुष्टि 
खूंटी के तत्कालीन एसपी अश्विनी सिन्हा ने कहा था कि आरोपी स्कूल से सिस्टर्स को ले जा रहे थे। तब फादर ने उन्हें कहा कि ये सिस्टर हैं, इन्हें न ले जाएं। लेकिन फादर ने लड़कियों को नहीं बचाया। फादर अल्फांसो आईंद पर दुष्कर्मियों को लड़कियों को साथ ले जाने से न रोक पाने और पुलिस को सूचना नहीं देने का मामला दर्ज किया गया था।

पत्थलगड़ी वाले इलाके में हुआ था दुष्कर्म 
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है, जिसके जरिए गांव का सीमांकन किया जाता है, लेकिन अब इसकी आड़ में गांव के बाहर अवैध तरीके से पत्थलगड़ी हो रही है। इसमें शामिल लोग ग्राम सभाओं में संविधान की गलत व्याख्या कर गांववालों को आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं। इन ग्राम सभाओं का खौफ इतना बढ़ गया है कि पुलिस भी यहां जाने में कतराती है।

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