सामाजिक बहिष्कार की वजह से बाजीराम की मां ने कहा : मैं नहीं लूंगी उसकी लाश
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: रामगढ़ जिले में सामाजिक बहिष्कार की डर से दुर्दांत नक्सली बाजीराम महतो की मां ने पुलिस को दो टूक जवाब दे दिया। उसने कहा मैं उसकी लाश नहीं लूंगी। पुलिस को उसकी लाश के साथ जो करना है, वह करें। शुक्रवार को काफी देर तक रामगढ़ जिला पुलिस लाइयो में बाजीराम के घर पर उसकी मां को मनाने में लगी रही। लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। उस बूढ़ी महिला ने यह भी पुलिस को कहा कि मेरी माली हालत काफी खराब हो गई है। मैं बाजीराम का अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकती। बाजीराम का जो इतिहास रहा है और जिस तरीके से उसकी मौत हुई है उसमे कोई भी गाँव का व्यक्ति मुझे उसके अंतिम संस्कार में मदद भी नहीं करेगा। फिर मैं उसकी लाश को लेकर क्या करूंगी। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की घटना को घटे 40 घंटे से ज्यादा हो गए हैं। अब तक बाजीराम का ना तो अपने परिवार और ना ही कोई रिश्तेदार वहां तक पहुंचा है। जानकारी के अनुसार बाजीराम की शादी नहीं हुई थी उसके पिता चालो महतो की मृत्यु कई साल पहले हो चुकी है। अब उसके घर में सिर्फ उसकी बूढ़ी मां बची है। पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस लाइयो में मुखिया और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रही है। किसी ने भी उस नक्सली की लाश का अंतिम संस्कार करने में रुचि नहीं दिखाई। हर बीतते समय के साथ उसकी लाश सड रही है। कानूनी तौर पर जब किसी लाश पर उसके परिजन अपना दावा नहीं करते हैं, तो 72 घंटे के बाद पुलिस खुद ही उसका अंतिम संस्कार कर देती है। लगता है दुर्दांत नक्सली का अंतिम संस्कार भी पुलिस ही करेगी। घटना को घंटे 40 घंटे बीत चुके हैं और अब 32 घंटे बाद पुलिस अपनी प्रक्रिया शुरू करेगी। पुलिस को उम्मीद नहीं है कि इस बीच भी बाजीराम की लाश को देखने या लेने उसका कोई भी परिवार या रिश्तेदार आएगा। अभी तक उसकी लाश देखने तक भी कोई नहीं आया है। यहां तक कि उसकी मां भी वहां नहीं पहुंची है।
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