यूपी की तर्ज पर जनजागरण कर एक झंडे की होगी तैयारी : शेर सिंह राणा
सिटी पोस्ट लाइव : राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा समिति द्वारा आज राजधानी पटना के रविंद्र भवन में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में आगामी 25 फरवरी को आयोजित होनी वाली महारैली के लिए अभियान समिति का विस्तार किया गया। इसके तहत प्रदेश से लेकर जिला कमेटी का गठन कर जिला व कमिश्नरी वाइज प्रभार दिया गया। इसस पहले कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रवादी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेर सिंह राणा ने आह्वान किया कि उत्तर प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी जनजागरण के जरिये एक झंडे की तैयारी की जायेगी और समाज के लोगों को सभी राजनीतिक दलों से हटकर एक नई दिशा और दशा देने की तैयारी की जायेगी।
राणा ने एससी एसटी बिल पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनके परिवार पर भी हमला बोला। उन्होंने सम्मेलन में कार्यकर्ताओं से कहा कि राम विलास पासवान और उनके परिवार के लोगों ने लोकसभा में दवाब बना कर एससी एसटी बिल जबदस्ती पास करवाया है। राम विलास पासवान और चिराग पासवान के दवाब में 56 इंच का सीना सिकुड़ गया, मगर सवर्ण सामज इस बिल के खिलाफ है। इसलिए हम राम विलास पासवान और उनके परिवार वालों का सर्वाजनिक तौर पर विरोध करेंगे। पूरा सवर्ण समाज इस बिल को लेकर पासवान फैमली का विरोध करती है।
वहीं, देश में समान शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिकता, कानून और किसानों के सवाल पर लोगों में जनजागृति पैदा करने को लेकर राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा पर निकले यात्रा समिति के संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह ने सवर्णों को सामाजिक न्याय का सच्चा सिपाही बताया और कहा कि आज सवर्ण जाति के लोगों को मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी कहा जाता है, जो सरासर गलत है। सवर्णों ने हमेशा समाज को साथ लेकर चलना स्वीकार किया है। सर्व विदित है कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, जो सवर्ण थे। और डॉ भीमराव अंबेदकर ड्राफटिंग कमेटी के चेयरमैन थे। उस वक्त राजेंद्र बाबू के हस्ताक्षर से ही एससी – एसटी आरक्षण बिल पास हुआ था। यह दर्शाता है कि सवर्णों ने ही सामाजिक बराबरी के लिए पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया।
सिंह ने कहा कि लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान जैसे नेता सामाजिक न्याय का ढि़ढोरा पिटते हैं, मगर उनसे पूछा जाये कि सामाजिक न्याय के लिए उन्होंने क्या किया। इसका जवाब बस यही है कि हमारे पिछड़े भाईयों को नफरत की आग में झोंक कर कुर्सी हासिल की। आज ऐसे नेता जिस मंडल कमीशन के 27 प्रतिशत आरक्षण की बात करते हैं। वह भी विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ और उन्होंने ही एससी – एसटी एक्ट कानून को लाया। विश्वनाथ प्रताप सिंह भी सवर्ण ही थे। यहां ध्यान रखना होगा कि जब भी जरूरत पड़ी, सवर्णों ने सामाजिक न्याय को बिना किसी स्वार्थ के मजबूत करने का काम किया। फिर भी कहते हैं कि सवर्ण मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी है, तो पूरी तरह से झूठ है। जबकि सच्चाई यह है कि भारत को एकसूत्र में बांधने और न्यायप्रिय शासन देने का काम आज भी सिर्फ सवर्ण नेतृत्व ही कर सकती है।
सम्मेलन में सुजीत कुमार ने सवर्णों आरक्षण पर कहा कि कम से कम भाजपा की सरकार ने संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए सोचा तो। हालांकि हमें आरक्षण के तरीके पर एतराज है। हमारा स्पष्ट मानना है कि आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक गरीबी के आधार पर मिले और उसका समय –सीमा तय हो। क्योंकि 1947 में कमजोर लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए 10 साल के लिए आरक्षण दिया गया था, मगर बाद में यह राजनीतिक फायदे के लिए मुद्दा भर बनकर गया, इसलिए आरक्षण के बावजूद आज भी दलित – महादलित –आदिवासी भाई लोगों की हालत नहीं सुधरी है। इसका इस्तेमाल समाज के लिए लड़ने वालों सवर्णों के खिलाफ किया गया, जिसने देश में नफरत की खाई पैदा की है।
सुनील पांडेय ने कहा कि 10% आरक्षण देकर अगर भाजपा सरकार यह सोचती है कि सवर्ण उन्हें वोट दे देंगे, तो यह उनकी गलत फहमी है। सवर्ण उन्हें तभी वोट देंगे, जब वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी एसटी आरक्षण कानून को शत प्रतिशत मंजूरी देंगे। उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को पटना में ऐतिहासिक सवर्ण महारैली का आयोजन भी किया जायेगा, जिसमें हमने जनसत्ता दल (लो) अध्यक्ष सह यूपी के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और शेर सिंह राणा को भी आमंत्रित किया है। यह रैली देश की एकता और समाज से गैरबराबरी को समाप्त करने के लिए होगी।
कार्यकर्ता सम्मेलन में मुख्य रूप से रोहित सिंह रैकवार, विशाल सिंह परमार, अंजना सिंह, दानिश खान, मनोज श्रीवास्तव, सुनील सिंह, राजा रवि कुशवाहा, अमोद कुमार निराला, शेफाली भारद्वाज, रितेश सिंह, भमति राय और राजवीर सिंह समेत सवर्ण समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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