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झारखंड में पूर्ण शराबबंदी हो और धर्मस्थलों पर पशु बलि पर रोक लगे : पंकज वत्सल

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झारखंड में पूर्ण शराबबंदी हो और धर्मस्थलों पर पशु बलि पर रोक लगे : पंकज वत्सल

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: अंग्रेजी नव वर्ष मनाने के लिए 31 दिसंबर और एक जनवरी को कत्ल किये जाने वाले करोड़ों पशु-पक्षियों की आत्मा की शांति के लिए आज रविवार की सुबह 10 बजे को अध्यात्म फाउंडेशन तथा जैन समाज की ओर से रांची के अल्बर्ट एक्का चौक के पास प्रार्थना सभा की गई तथा शाकाहार एवं नशामुक्ति जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें महिला, पुरुष, नौजवान काफी संख्या में उपस्थित थे। अध्यात्म फाउंडेशन के पंकज वत्सल ने कहा कि राज्य सरकार से मांग की गई कि झारखंड में पूर्ण शराबबंदी लागू की जाये तथा धर्मस्थलों पर पशु बलि पर रोक लगाई जाये। इस मौके पर आमजन से अपील की गई कि अंग्रेजी नव वर्ष का स्वागत मांस-मदिरा से करने की बजाय हवन, कीर्तन, ध्यान और सत्संग से करें। लोगों को मांसाहार के दुष्परिणाम और शाकाहार के लाभ के बारे में जानकारी दी गई। इस मौके पर अध्यात्म फाउंडेशन के पंकज वत्सल, जैन समाज से अरविंद कुमार शास्त्री, घेवर चंद नाहटा, सुरेश चंद्र बोथरा, प्रो. हरमिन्दरवीर सिंह, पवन मंत्री, चैम्बर अध्यक्ष दीपक कुमार मारू, स्वामी दिव्य ज्ञान, सुभाष चंद जैन , अजय गंगवाल, संजय छाबड़ा आदि अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान पद्म चंद छाबड़ा, नरेंद्र गंगवाल, हेमंत सेठी, नरेंद्र पांड्या, पूरणमल सेठी, संजय कुमार गुप्ता, विमल जैन, अशोक सुराणा, संजय भरतिया, राकेश पांडेय, विनय नाहटा, पवन कुमार शर्मा, प्रदीप मोदी, अशोक पोद्दार आदि उपस्थित थे।
पशु-पक्षी के कत्ल के समय भय से रिलीज होने वाला स्ट्रेस हार्मोन खतरनाक 
इस मौके पर अध्यात्म फाउंडेशन और जैन समाज के वक्तताओं ने कहा कि पशु-पक्षी के कत्ल के समय उनमें भय से स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है जो उनके टिश्यू में आ जाते हैं और वह मांस खाने से मनुष्य में भी स्ट्रेस जनित रोग बीपी, मधुमेह, थायरॉयड आदि हो जाते हैं । इसके साथ ही कैंसर सेल के निर्माण के लिए अनुकूल माहौल मिलता है। मांसाहार पचाने के लिए ज्यादा रक्त खर्च होते है, जिसके लिए हृदय और किडनी को दबाव में ज्यादा काम करना पड़ता है। इस कारण मांसाहारी लोगों में कैंसर, हृदय तथा किडनी रोग होने की आशंका ज्यादा हो जाती है।
नवकार और गायत्री मंत्र सहित जपुजी साहिब का हुआ वाचन
नववर्ष मनाने के लिए कत्ल किये जानेवाले पशु-पक्षियों की आत्मा की शांति के लिए तथा हिंसा में रत लोगों की संवृद्धि के लिए जैन समाज के प्रतिनिधि ने नवकार मंत्र, सनातन समाज के प्रतिनिधि ने गायत्री मंत्र तथा सिख समाज के प्रतिनिधि ने जपुजी साहिब का वाचन किया।

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