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राफेल घोटाला भारत का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है : अजय माकन

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राफेल घोटाला भारत का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है : अजय माकन

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा कि राफेल घोटाला भारत का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है, जो साफ तौर से भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने असत्य कथन व झूठे बयान देकर संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया गया है। माकन बुधवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने मोदी सरकार के ‘झूठ के पुलिंदे’ का भंडाफोड़ कर दिया। राफेल घोटाला सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने, देशहित के साथ समझौता करने, देश की सुरक्षा को कमजोर करने , सरकारी कंपनी, ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)’ की अनदेखी करने एवं ‘पूंजीपति मित्रों’ को फायदा पहुंचाने का दुखद एवं घिनौना वृत्तांत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान 12 दिसंबर 2012 को खुली अंतर्राष्ट्रीय बोली के अनुसार 126 राफेल लड़ाकू जहाजों में से प्रत्येक लड़ाकू जहाज का मूल्य 526.10 करोड़ रुपया यानि 36 लड़ाकू जहाजों का मूल्य 18,940 करोड़ रु. था। मोदी सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू जहाज 7.5 बिलियन यूरो (1670.70 करोड़ रु. प्रति लड़ाकू जहाज) यानि 36 जहाजों के लिए 60,145 करोड़ रु. में खरीदे। इस सौदे में सरकारी खजाने को 41,205 करोड़ रु. का चूना लगा। 30,000 करोड़ रुपये का ‘ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ पीएसयू – हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हाथों से लेकर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कंपनी को दे दिया गया। प्रधानमंत्री ने पब्लिक सेक्टर की कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दरकिनार कर 30,000 करोड़ का डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट 12 दिन पुरानी कंपनी, यानि रिलायंस डिफेंस को दे दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 लड़ाकू जहाजों को खरीदने की घोषणा के वक्त अनिवार्य ‘डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीज़र’ (डीपीपी) को उठाकर ताक पर क्यों रख दिया। डीपीपी की शर्तों, यानि ‘कॉन्ट्रैक्ट नेगोसिएशन कमिटी’ (सीएनसी) एवं ‘प्राईस नेगोसिएशन कमिटी’ (पीएनसी) द्वारा ‘सही मूल्य पता’ करने की प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। माकन ने कहा कि भारतीय वायु सेना को कम से कम 126 ऑपरेशनल लड़ाकू जहाजों की जरूरत है। कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा जारी ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल’ (आरएफपी) का आधार यही है, जिसमें साफ कर दिया गया था कि एचएएल ‘ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलॉजी’ के साथ 108 लड़ाकू जहाजों का निर्माण करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय वायु सेवा के लिए खरीदे जाने वाले लड़ाकू जहाजों की संख्या 126 से घटाकर 36 क्यों कर दी। इस मामले में भारतीय वायुसेना का परामर्श क्यों नहीं लिया गया। प्रधानमंत्री ने भारत को किए जाने वाले ‘ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलॉजी’ की बलि क्यों दे डाली। प्रेसवार्ता में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार, डॉ रामेश्वर उरांव, मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर, राजीव रंजन प्रसाद, लाल किशोर नाथ शाहदेव आदि उपस्थित थे।

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