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मुंगेर को मिली नई सौगात, राज्यपाल की अनुपस्थिति बनी चर्चा का विषय

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मुंगेर को मिली नई सौगात, राज्यपाल की अनुपस्थिति बनी चर्चा का विषय

सिटी पोस्ट लाइव : 2 दिसम्बर दिन रविवार मुंगेर के इतिहास के पन्नों में उस समय दर्ज हो गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा नव निर्मित मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया गया और इसके साथ हीं आज से मुंगेर विश्वविद्यालय अपने वजूद में आ गया। दोपहर 12.30 बजे के आस-पास मुख्यमंत्री का काफिला अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुंगेर हवाईअड्डे से सीधे आरडीएनडीजे कॉलेज पहुॅंचा। काफिले में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तथा मौके पर जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, मंत्री विजय कु0 सिन्हा, मंत्री शैलेश कु0, मंत्री जयकुमार सिंह समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

हालांकि इस मौके पर महामहिम राज्यपाल जो कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी होते हैं उनकी गैरमौजूदगी आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना रहा। मुख्यमंत्री के अभिभाषण में  उनके और उनकी सरकार के द्वारा शिक्षा व्यवस्था में किए गए एवं किए जा रहे कार्यों का विस्तृत उल्लेख किया गया, लोगों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अपने भाषण में जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा कर सकते हैं , लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को जल्द हीं नए वेतनमान का लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा तथा शिक्षकों की कमी की जो समस्या है उसके निवारण हेतु बङे पैमाने पर शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शीघ्र हीं आरंभ की जाएगी। मंच की अध्यक्षता मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति रंजीत कुमार वर्मा ने की। मुख्यमंत्री को देखने और सुनने आए लोगों को उस समय काफी निराशा हांथ लगी जब उन्हें कार्यक्रम स्थ्ल के मुख्य दरवाजे के अन्दर प्रवेश नहीं करने दिया गया , कार्यक्रम में सिर्फ पास धारकों  को हीं प्रवेश की अनुमति थी।

एक 75 वर्षीय बुजुर्ग जो कि मुख्यमंत्री को सुनने आऐ हुए थे उन्हें भी बैरंग वापस लौटना पङा, जब मैंने उनसे बात कि तो उंन्होंने बताया कि “अपने मुख्यमंत्री को सुनने के लिए कौन से पास की जरूरत होती है? मेरे हांथ में तो बस एक लाठी है ,क्या इससे भी मुख्यमंत्री की सुरक्षा को खतरा है ? अगर जनता के चुने हुए प्रतिनिधि को अपनी जनता से हीं भय होने लगे और वह भी एक 75 साल के बूढे से तो आप समझ जाइए कि उसे भी इस बात का एहसास हो गया है कि वह अपने कर्तव्य से विमुख हो चुका है।

अनुराग मधुर की रिपोर्ट

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