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तीन दिवसीय वन मेला प्रदर्शनी सह बिक्री मेला शुरू

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तीन दिवसीय वन मेला प्रदर्शनी सह बिक्री मेला शुरू

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: रांची स्थित डोरंडा वन भवन के पलाश सभागार में शनिवार को तीन दिवसीय वन मेला प्रदर्शनी सह बिक्री मेले का उद्घाटन हुआ। इसका आयोजन झारखंड वन विभाग व फॉरेस्ट ऑफिसर वाइफ एसोसिएशन (फोवा) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसका उद्घाटन वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी व मीता चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से किया। यह प्रदर्शनी तीन दिसम्बर तक चलेगी। इस अवसर पर इंदु शेखर चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य के वनों के समीप रहने वालों में प्रतिभा की कमी नहीं है। वनों में रहने वाले लोग तरह-तरह के उत्पाद बनाते हैं। हमारा प्रयास ऐसे कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है। इसी उद्देश्य से तीन दिवसीय प्रदर्शन सह बिक्री मेले का आयोजन किया गया है। यहां पर 40 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों से आये लोगों ने यहां स्टॉल लगाया है। इनमें वनोपज आधारित खाद्य सामग्री, रोजमर्रा का जरूरी और सजावटी समान, पेंटिंग, मिट्टी, पत्थर और धातुओं के आभूषण एवं कलाकृतियां, टेराकोटा, वस्त्र आदि बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। चतुर्वेदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि आने वाले दिनों में और बड़ा कार्यक्रम हो, ताकि यहां के कारीगरों को उचित मंच मिल सके और वह अपना सामान बेच सकें। इस अवसर पर उन्होंने प्रदर्शनी में लगाए गए सभी स्टॉलों का भ्रमण किया और स्टॉल लगाने वालों से बातचीत भी की। इस दौरान जंगलों के बांस से बनी कई तरह की वस्तुएं लोगों को खूब आकर्षित कर रही थी। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि राज्य के वनवासियों के अद्वितीय कौशल, उनकी विधाओं तथा उनकी कला से सभी को परिचित कराकर, महिला एवं वनवासी सशक्तिकरण कर वनों को बढ़ावा देने के लिए विभाग और फोवा ने वन मेले की एक नई शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि वन मेले में राज्य के कोने-कोने से आये हुए वनवासियों द्वारा प्राकृतिक वस्तुओं से बनाई गई सामग्रियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इनमें वनोपज आधारित खाद्य सामग्री, रोजमर्रा की जरूरी और सजावटी समान, पेंटिंग आदि शामिल हैं। इन सामग्रियों की विविधता और उत्कृष्टता वनवासी समाज की महिलाओं के पारंपरिक सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य वनों का प्रदेश है। राज्य में 32 हजार गांव हैं। 32 में से साढ़े चार हजार गांव में वन है। वनों में रहने वाले लोग अपनी कला विकसित कर रहे हैं। इससे उनका जीविकोपार्जन भी हो रहा है। हम उनकी कलाओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वनों के आसपास रहने वाले लोगों को आत्मनिर्भर किया जा रहा है। इसी को लेकर इस तरह के मेले की शुरुआत की गई है। इस अवसर पर फोवा की अध्यक्ष सबिता मिश्रा, सचिव लीना रस्तोगी, एटी मिश्रा, निशा कुमारी, केपी पाण्डेय सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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