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सीआईडी ने थोलिक आर्चडायसिस और कार्मेलाइट सोसाइटी को दोषी माना

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सीआईडी ने थोलिक आर्चडायसिस और कार्मेलाइट सोसाइटी को दोषी माना

सिटी पोस्ट लाइव, रांची : विदेशी फंडिंग मामले में सीआईडी ने रांची कैथोलिक आर्चडायसिस और रांची कार्मेलाइट सोसाइटी समेत 10 एनजीओ को दोषी माना है। राज्य में निबंधित 88 एनजीओ की जांच कर रही सीआईडी ने इन 10 एनजीओ की प्रारंभिक रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी है। इसमें कहा है कि इन संस्थाओं की जांच में गंभीर त्रुटियां मिली हैं। इसलिए फाॅरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट 2010 (एफसीआरए) की धारा 43 के तहत इसकी जांच सीबीआई से कराने पर विचार किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन एनजीओ में कई भुगतान संदिग्ध तरीके से हुए हैं। पैसे का उपयोग ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया गया है। केंद्र सरकार को गलत सूचना दी गई है। यह एफसीआरए की धारा 33 (बी), 35 और 37 के तहत दंडनीय अपराध है।

फंड का कर दिया घालमेल :

इन संस्थाओं ने एफसीआरए अकाउंट को डोमेस्टिक फंड अकाउंट के साथ घालमेल कर दिया है। जबकि एफसीआरए के तहत प्राप्त विदेशी फंड के लिए अलग से बैंक खाता होना चाहिए था। किसी भी स्थिति में इसे डोमेस्टिक फंड अकाउंट से नहीं मिलाया जाना चाहिए था। यह एफसीआरए की धारा 17 (1) का उल्लंघन है।

लेकिन रांची कार्मेलाइट सोसाइटी ने इसका उल्लंघन किया। यही नहीं, गृह मंत्रालय के निर्देश के अनुसार एफसीआरए से निबंधित सभी संस्थाओं को केंद्र सरकार के दर्पण पोर्टल पर पूरी जानकारी उपलब्ध कराना है। लेकिन किसी संस्था ने ऐसा नहीं किया। एफसीआरए के तहत विदेशों से मिले एक करोड़ से अधिक की राशि को पब्लिक डोमेन में अपलोड करना है। पर ऐसा नहीं हुआ। कोई विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने से पहले केंद्र की अनुमति जरूरी है। पर इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्लेट सिस्टर्स ऑफ नजारथ सोसाइटी ने इसका उल्लंघन किया।

रांची आर्चडायसिस के बिशप मसकरेन्हस बोले : 

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस आॅफ इंडिया (सीबीसीआई) के जनरल सेक्रेट्री और रांची आर्चडायसिस के ऑक्जिलियरी बिशप थियोडार मसकरेन्हस ने कहा-इस मामले में हमने रिट पिटीशन फाइल की है। यह मामला कुछ नहीं है। सरकार कैथोलिक चर्च के पीछे पड़ी हुई है। सीआईडी ने जिस तरह से जांच की है, वह असंवैधानिक है। रघुवर सरकार कैथोलिक चर्च के पीछे पड़ने की बजाय इस पर ध्यान दे कि सरकारी फंड कैसे आते हैं। उसका उपयोग सही हो रहा है या गलत, इसकी जांच कराएं।

लूथेरन गर्ल्स हॉस्टल में बाइबल रखना जरूरी यह ईसाई धर्म के प्रति रुझान बढ़ाने की कोशिश :

रिपोर्ट में कहा गया है कि लूथेरन गर्ल्स हॉस्टल ने वर्ष 2016-17 का इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है। इससे पूरा ट्रांजेक्शन संदिग्ध हो गया है। एफसीआरए के अनुसार अधिकतम 20 हजार तक ही नगद भुगतान किया जा सकता है। यही नहीं, लूथेरन गर्ल्स हॉस्टल ने अपने बायलाॅज में धर्म, जाति, लिंग, उम्र आदि से ऊपर उठकर काम करने की घोषणा की है, लेकिन उपनियम में लिखा है कि हर छात्राओं को हॉस्टल में अनिवार्य रूप से बाइबल रखना होगा। लगता है कि ईसाई धर्म के प्रति रुझान पैदा करने के लिए ऐसा किया गया है। इसका परिणाम धर्मांतरण भी हो सकता है।

इन संस्थाओं की हुई जांच :

  • रांची कैथोलिक आर्चडायसिस
  • लूथेरन गर्ल्स हॉस्टल
  • डॉटर्स ऑफ संत अन्ना
  • रांची कार्मेलाइट सोसाइटी
  • होली फेथ ट्राइबल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट
  • इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्लेट सिस्टर्स ऑफ  नजारथ सोसाइटी
  • संत अलबर्ट कॉलेज
  • सिस्टर्स अॉफ संत चा‌र्ल्स सोसाइटी
  • सिस्टर्स ऑफ चैरिटी ऑफ संत विनसेंट डी पॉल।

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