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रामगढ़ स्थित रजरप्पा मंदिर में मां करती है विचरण, जानिए मंदिर के अनोखे सच

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सिटी पोस्ट लाइव : रांची से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ में स्थित है रजरप्पा। इसे छिन्नमस्तिका मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में रोजाना ही सैकड़ों बकरे की बलि पड़ती है। इस साल जनवरी में एक सीआरपीएफ के जवान ने मंदिर की सीढ़ियों पर खुद का गला रेत कर अपनी जान दे दी थी। दरअसल, मां छिन्नमस्तिका मंदिर परिसर में एक सीआरपीएफ के जवान ने 31 जनवरी की सुबह पूजा के बाद खुद का गला रेत डाला था। लेकिन लोगों का कहना था कि उसने खुद की बलि दी है। ‘वह पहले से ही बलि देने का मन बनाकर यहां आया था। उसके पास ठीक वैसी ही नई कटारी थी, जैसी की मां छिन्नमस्तिका की मूर्ति में लगाई गई है।’ बताते चलें कि कामाख्या के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में इस मंदिर को जाना जाता है। कहते हैं कि यहां सच्ची भक्ति के साथ मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। मंदिर के अंदर जो देवी काली की प्रतिमा है, उसमें उनके दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ मस्तक है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है।

इसीलिए नाम पड़ा छिन्नमस्तिका
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि एक बार मां भवानी अपनी दो सहेलियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने आई थीं।
  • स्नान करने के बाद सहेलियों को इतनी तेज भूख लगी कि भूख से बेहाल उनका रंग काला पड़ने लगा। उन्होंने माता से भोजन मांगा। माता ने थोड़ा सब्र करने के लिए कहा, लेकिन वे भूख से तड़पने लगीं।
  • सहेलियों ने माता से कहा, हे माता। जब बच्चों को भूख लगती है तो मां अपने हर काम भूलकर उसे भोजन कराती है। आप ऐसा क्यों नहीं करतीं।
  • यह बात सुनते ही मां भवानी ने खड्ग से अपना सिर काट दिया, कटा हुआ सिर उनके बाएं हाथ में आ गिरा और खून की तीन धाराएं बह निकलीं।
  • सिर से निकली दो धाराओं को उन्होंने उन दाेनों की ओर बहा दिया। बाकी को खुद पीने लगीं। तभी से मां के इस रूप को छिन्नमस्तिका नाम से पूजा जाने लगा।
रात में मां करती है यहां विचरण!
  • यहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में साधु, माहत्मा और श्रद्धालु नवरात्रि में शामिल होने के लिए आते हैं। 13 हवन कुंडों में विशेष अनुष्ठान कर सिद्धि की प्राप्ति करते हैं।
  • रजरप्पा जंगलों से घिरा हुआ है। जहां दामोदर व भैरवी नदी का संगम भी है। शाम होते ही पूरे इलाके में सन्नाटा पसर जाता है।
  • लोगों का मानना है कि मां छिन्नमिस्तके यहां रात्रि में विचरण करती है। इसलिए एकांत वास में साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति में जुटे रहते हैं।

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