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माया कोडनानी कभी चलाती थी अपना हॉस्पिटल

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सिटी पोस्ट लाइव : गुजरात हाई कोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले में बीजेपी सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया है जबकि बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया गया है. हाईकोर्ट ने उनकी उम्रकैद की बरकरार रखी है. अदालत के मुताबिक़ पुलिस ने कोई ऐसा गवाह पेश नहीं किया जिसने माया कोडनानी को कार से बाहर निकलकर भीड़ को उकसाते देखा हो. गुजरात दंगे के बाद नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. जबकि 33 लोग घायल हुए थे.जब भी 2002 के गुजरात दंगों की बात होती है, तो कुछ नाम हमेशा ही जहन में आते हैं. उन्हीं नामों में से एक है माया कोडनानी का नाम. माया कोडनानी भाजपा से तीन बार की महिला विधायक हैं और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री थी. वो पहली महिला वर्तमान विधायक थीं जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई है. उन पर आरोप था कि हत्या करने वाली इस भीड़ का नेतृत्व कोडनानी ने ही किया था. माया का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध परिवार में रहता था लेकिन बाद में परिवार गुजरात आकर बस गया. पेशे से माया कोडनानी गाइनकालजिस्ट थी और साथ-साथ आरआरएस से भी जुड़ गईं. ऐसे में डॉक्टर के तौर पर ही नहीं आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर भी जानी जाती थीं.

अपनी मेटर्निटी अस्पताल को छोड़कर वो स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं. अपनी वाकपटुता की वजह से वे भाजपा में बहुत जल्द काफ़ी लोकप्रिय हो गईं. 2002 के गुजरात दंगों में जब उनका नाम सामने आया तो उनकी साख को धक्का लगा. 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में वे विजयी रहीं. साल 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी फिर जीत गईं और जल्द ही गुजरात सरकार में मंत्री भी बन गईं. लेकिन 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए समन किया. बाद में उन्हें गिरफ़्तार किया गया तो उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. हालांकि जल्द ही वे ज़मानत पर रिहा भी हो गईं. इस दौरान वे विधानसभा जाती रहीं और उन पर मुक़दमा भी चलता रहा. 29 अगस्त 2012 में आख़िरकार कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी क़रार दिया.

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