आकाश .
निलंबित आईपीएस अफसर विवेक कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में एसवीयू की टीम लगातार पांचवे दिन भी यूपी के मुजफ्फरनगर से बिहार में मुजफ्फरपुर तक कार्रवाई में जुटी है. गुरुवार की शाम तक विवेक के ससुराल वालों के चार लॉकर की तलाशी में कुल 1 करोड़ 41 लाख 49 हजार रुपए नकद मिले है. बरामद सभी नोट 2-2 हजार रुपए के हैं.आमतौर लाकर का इस्तेमाल आभूषण या फिर महत्वपूर्ण कागजात रखने के लिए किया जाता है.लेकिन निलंबित एसएसपी विवेक कुमार के रिश्तेदारों के लाकर्स केवल 2000 के नोट उगल रहे हैं. अभीतक विजया बैंक मुजफ्फरनगर के एक लॉकर से-36 लाख ,इंडियन ओवरसीज बैंक मुज़फ्फरनगर के 2 लॉकर से – 75.49 लाख और केनरा बैंक मुजफ्फरनगर के एक लॉकर से – 30 लाख नगद बरामद हो चुके हैं..
पुलिस कप्तान जिसके कंधे पर कानून को लागू करवाने की अहम् जिम्मेवारी होती है ,उसके आवासीय दफ्तर में अवैध कार्बाइन कैसे आया ? अवैध कार्बाइन एसएसपी के गोपनीय शाखा में रखने का क्या मतलब है ? किसका है यह कारबाईन ? किस मकसद से रखा गया था एसएसपी के दफ्तर में ? क्या कानून का रखवाला ही गैर-कानूनी काम कर रहा था ? जांच टीम के सामने कई अहम सवाल हैं जो अभीतक अनुतरित हैं .
सिटीपोस्टलाईव:मुजफ्फरपुर के पूर्व एसएसपी विवेक कुमार के ठिकानों पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट की जांच आज चौथे दिन भी जारी रही. बुधवार को जांच टीम ने मुजफ्फरनगर (यूपी) में 2 बैंक लॉकर खोले तो एक लॉकर में 1.65 करोड़ के एफडी के पेपर व 18 लाख के जेवर मिले और दूसरे लॉकर में 12 लाख कैश, 1.75 लाख के गहने मिले. जांच टीम के हाथ ऐसे सबूत लगे हैं जिससे पता चलता है कि एसएसपी विवेक ने मुजफ्फरपुर में ज्वाइन करने के 7 माह के अन्दर ही एक दिन में ही पत्नी निधि कुमारी के नाम एक-एक लाख के 22 फिक्स डिपॉजिट कराए थे. ये एफडी मुजफ्फरनगर के अंसारी रोड स्थित एसबीआई शाखा में 13 नवंबर 2016 को कराई गई थी.विवेक ने मुजफ्फरपुर में अप्रैल 2016 में बतौर एसएसपी ज्वाइन किया था. मंगलवार को उनके मुजफ्फरनगर स्थित ससुराल में 6 बैंक लॉकर की चाबी मिली थी. अन्य लॉकर को खोलने और उसकी जांच की कवायद चल रही है. देर शाम विवेक के सहारनपुर स्थित पैतृक घर से एलआईसी के लाखों की 7 पॉलिसी के कागजात मिले हैं.
मुजफ्फरपुर में एसएसपी आवास पर पिछले पांच दिनों से जमी एसवीयू की टीम ने मुजफ्फरनगर स्थित ससुराल वालों के लॉकर से मिल रही नकदी के बारे में विवेक से लगातार लंबी पूछताछ कर रही है लेकिन नकदी के बारे में कोई भी जानकारी होने से उन्होंने इनकार किया है.
जांच टीम ने विवेक कुमार के पर्सनल लैपटॉप को अपने कब्जे में लेकर पड़ताल शुरू किया तो एसएसपी साहब ने पासवर्ड बताने से ही इनकार कर दिया .हालांकि कड़ाई से पूछताछ के बाद उन्हें पासवर्ड याद आ गए और लैपटॉप भी खुल गया. लैपटॉप में अवैध संपत्ति और शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ होने के राज राज खुलने की संभावना है. पूर्व एसएसपी के कार्यकाल में हुए शराब के खिलाफ ऑपरेशन से जुड़ी फाइलों को भी जांच टीम खंगाल रही है. जांच की जा रही है कि उनके स्तर पर किसी तरह की गड़बड़ी की गई है या नहीं. खासकर कुछ संगीन मामलों में पूर्व एसएसपी की भूमिका संदेह के घेरे में है. चर्चा यह भी है कि एक लोकल शराब माफिया को हत्या के संगीन मामले में बचाया गया था जिसे राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है.
सबके जेहन में एक ही सवाल है कि क्या बिहार में केवल विवेक कुमार ही एक भरष्ट अधिकारी हैं ? जबाब जगजाहिर है.नहीं .फिर विवेक कुमार ही क्यों आये निशाने पर ? जबाब है कि उनके एक थानेदार ने कुछ दिनों पहले आत्म-हत्या कर ली थी .उसकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि थानेदार बनाने के एवज में एसएसपी साहब की तरफ से उससे मोती रकम की मांग की गई थी ,जिसकी व्यवस्था वह नहीं कर पा रहा था .पत्नी के इस आरोप के बाद ही एसएसपी साहब निशाने पर आ गए .
एसएसपी की पत्नी और ससुराल वालों के नाम 1.27 करोड़ रुपए के 91 फिक्स्ड डिपॉजिट कराए गए.ये सारे फिक्स्ड डिपाजिट उस अवधि के दौरान कराये गए जब विवेक कुमार मुजफ्फरपुर और भागलपुर में एसएसपी के पद पर तैनात थे.ससुर वेद प्रकाश और सास उमारानी कर्णवाल के नाम पर 34 फिक्स्ड डिपॉजिट में 60.8 लाख रुपए हैं. ख़ास बात यह है कि एक दिन में ही सास-ससुर के नाम कई फिक्स्ड डिपॉजिट हुए. सारे फिक्स्ड डिपॉजिट के कागजात व ब्योरा स्पेशल निगरानी यूनिट की टीम को मिलने के बाद अब सभी को फ्रीज कर दिया गया है. मुजफ्फरपुर स्थित सरकारी आवास की जांच में कई महत्वपूर्ण पेपर मिले हैं जिसकी जांच पिछले चार दिनों से की जा रही है .
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