गोपालगंज में अपराधियों का तांडव, ताबड़तोड़ 12 घंटे में 4 लोगों की हत्या
ताबड़तोड़ चार हत्याओं से फैली सनसनी
गोपालगंज में अपराधियों का तांडव, ताबड़तोड़ 12 घंटे में 4 लोगों की हत्या
सिटी पोस्ट लाइव : इन दिनों बिहार में अपराधी बेख़ौफ़ होकर हत्याओं जैसे बड़े वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. उन्हें न पुलिस का भय है और न कानून के डंडे का. उन्हें बस जिसकी हत्या करनी है उसकी कर देते हैं. पुलिस प्रशासन के खोखले दावों की पोल गोपालगंज में एक बार फिर खुल गयी है, जहां महज 12 घंटों में अपराधियों ने अलग-अलग थाना क्षेत्रों में चार हत्याएं कर, पुलिस के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ा है. जानकारी अनुसार ये सभी वारदात अकेले हथुआ अनुमंडल के प्रमुख थाना-क्षेत्रों की हैं. ये सभी हत्याएं रविवार को विजयीपुर, कटेया, भोरे और उचकागांव थाना क्षेत्र में हुई है. इस ताबड़तोड़ चार हत्याओं के बाद पूरे जिले में सनसनी फैल गयी है.
पहली घटना उचकागांव के खान बैरिया गांव की है, जहां पैसे के विवाद को लेकर विदेश से घर लौटे युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी गयी. मृतक का नाम मासूम खान था. इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों लड्डू मियां और गुड्डू मियां को गिरफ्तार कर लिया है. दूसरी घटना कटेया के परसौनी गांव की है, जहां 50 वर्षीय किसान की हत्या कर उसके शव को गांव के बाहर खेत में फेंक दिया गया. मृतक किसान का नाम रविन्द्र प्रसाद था, जो कटेया के गौरा बाजार में रहते थे. किसान की हत्या की क्या वजह है, अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है. तीसरी घटना भोरे के भगवानपुर गांव की है. जमीन पर कब्ज़ा करने आए भूमाफियाओं ने महिला को गोली मार दी, जबकि कई राउंड हवाई फायरिंग करने के बाद घर के अन्य सदस्यों को लाठी-डंडों से पीटकर घायल कर दिया गया.
चौथी घटना विजयीपुर के पगरा गांव की है, जहां छेड़खानी का विरोध करने पर चार लोगों को चाकू मारकर घायल कर दिया, जिसमें इलाज के दौरान एक व्यक्ति रंजित कुमार की देवरिया में मौत हो गयी. इस मामले में तीन घायलों की हालत गंभीर है, जिन्हें देवरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. चार लोगों की हत्या की खबर से पूरे जिले में सनसनी फैल गयी है, जबकि हथुआ अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और सम्बंधित थानाध्यक्ष कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं. गौरतलब है कि बिहार में न महिलाएं सुरक्षित हैं, न मजदूरी करने वाले किसान और न आम नागरिक. सुशासन की बीन बजाने वालों की निगाह इन हत्याओं और अपराधियों की ओर न होकर बस वोट बैंक की राजनीति करने में जुटी है. जिस प्रकार से हत्याओं बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं, वो वक्त दूर नहीं जब सड़क पर निकलने के पहले पचास बार सोंचना होगा.
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