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शराब सिंडिकेट के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: उत्पाद विभाग की ओर से शराब सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए पूरी नीति को बदल कर राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस मामले में बोकारो के उमेश कुमार ने शनिवार को झारखंड हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल किया है। पीआईएल में दावा किया गया है कि सरकार ने शराब नीति बदलकर सिंडिकेट के हाथों में सारा कारोबार दे दिया है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि विभाग की ओर से थोक शराब कारोबार में करीब 4500 करोड़ का घोटाला किया गया है । याचिका में कहा गया है कि किसी खास व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नियमों में फेरबदल किया गया। इसके परिणाम स्वरूप झारखंड बिवरेज कॉरपोरेशन से यह काम लेकर शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के हाथों में सारा कारोबार थमा दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार हैं।

याचिकाकर्ता ने पीआईएल में 26 लोगों को पार्टी बनाया है । इनमें राज्य के मुख्यमंत्री और उनके छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन के अलावा योगेंद्र तिवारी, अमरेंद्र तिवारी ,अमित अग्रवाल ,सीएम के प्रेस सलाहकार पिंटू उर्फ अभिषेक प्रसाद, प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, मंटू श्रीवास्तव ,उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव विनय चौबे, उत्पाद विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर गजेंद्र कुमार के साथ-साथ जामताड़ा स्थित एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर के अलावा वह तमाम शराब कंपनियां शामिल हैं, जिन्हें थोक कारोबार का काम मिला है।

याचिका में कहा गया है कि ज्यादातर कारोबारियों ने जो बैंक डिटेल्स डिपार्टमेंट को दिए हैं ।वह संथाल परगना के बैंकों के हैं। झारखंड के 24 जिलों में से 19 जिलों में शराब के थोक व्यापार का जिम्मा गोड्डा, जामताड़ा और दुमका के कारोबारियों को मिला है ।बाकी पांच जिलों में धनबाद और रांची से जुड़े व्यवसायियों को यह टेंडर मिला है। लेकिन सभी 24 जिलों में काम करने वाले कारोबारियों का रिश्ता संथाल परगना से ही है। ज्यादातर कारोबारियों के बैंक का पता मिहिजाम का है।

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