City Post Live
NEWS 24x7

पहले एपिसोड में मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अंशु तो दूसरे में डॉक्टरों के पैनल ने रखी बात

ये वक्त करने का है, सोचने का नहीं: अंशु गुप्ता

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और गूंज संस्था के संस्थापक अंशु गुप्ता ने कहा कि वो हरेक इंसान जो हमारे लिए अनाज उगाया वो भूखा रह गया। इसी तरह जो हमारे लिए घर बनाया वो बेघर रह गया है। इसलिए आज का समय अब सोचने या मंथन नहीं करने का है बल्कि कुछ करने का है। अभी देश को सोचने वाले की नहीं बल्कि करने वालों की जरूरत है।

अंशु गुप्ता रविवार को एडवांटेज केयर डायलॉग सीरीज के तहत ‘हेल्थ और हंगर’ (स्वास्थ्य और भूख) विषय पर आयोजित वर्चुअल संवाद में बोल रहे थे। दोपहर 12 से एक बजे के बीच आयोजित इस डायलॉग के पहले एपिसोड में अंशु गुप्ता ने कहा कि माहवारी के समय साफ-सफाई बहुत बड़ी समस्या है। महिलाओं की बहुत बड़ी आबादी जैसे-तैसे माहवारी से निपटती है। उनके पास हमलोग जैसे परिवार की तरह नैपकिन खरीदने की क्षमता नहीं होती है। हमने गांव में इस पर काम किया।

 

अंशु गुप्ता ने कहा कि पिछले दिनों दो समुद्री तुफान से देश का सामना हुआ। मीडिया में खबरें आईं कि लाखों लोग का घर उजड़ गया। लेकिन अगले दिन ही यह खबर मीडिया से गायब हो गई। लोगों को घर बनाने में पीढ़ियां लग जाती हैं। ऐसे में उनका घर तहस-नहस हो गया। ये खबरें मीडिया में एक दिन के बाद नहीं आईं।

मनरेगा जैसी योजना सुधार सकती हैं जिंदगी

अंशु गुप्ता ने कहा कि मनरेगा जैसी योजनाएं आज की जरूरत हैं। इससे लोग महामारी से उबर सकते हैं। लोगों व जरुरतमंदों को सीधा पैसा देने से अच्छा है कि उन्हें भागीदार बनाया जाए। देश में गरीबी को और नहीं बढ़ाना है तो इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के छोटे-छोटे काम जैसे-पुलिया निर्माण, तालाब खोदना आदि तेजी से करना होगा।

अंशु गुप्ता ने कहा कि इस साल कोरोना महामारी में सारा ध्यान लोगों को ऑक्सीजन मुहैया कराने पर रहा। लेकिन यह किल्लत देश के इतनी बड़ी आबादी के छोटा-से हिस्सा के लिए था। बड़ी आबादी के लिए दाल-चावल ही बड़ी चुनौती है।

सीनियर पैरा मेडिकल स्टाफ को किया जाए प्रशिक्षित

दूसरे एपिसोड में प्रसिद्ध सर्जन और पारस एचएमआरआई (पटना)के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एए हई ने कोरोना महामारी के तीसरी लहर की आंशका के मद्देनजर कहा कि हम इतनी जल्दी डॉक्टर नहीं बना सकते हैं। इसलिए हमें सीनियर पैरा मेडिकल स्टॉफ को ही महामारी से मुकाबला करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा की वकालत की और कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य पर सरकार को खर्च बढ़ाना चाहिए। यह जीडीपी का सात से 10 प्रतिशत हो। वहीं मैक्स अस्पताल (साकेत, दिल्ली) के इंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. सुजीत झा ने कहा कि स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर सही है। जरूरत उसके सही इस्तेमाल करने और नीचे तक जाने की है।

वहीं रूबन मेमोरियल अस्पताल (पटना) के प्रबंध निदेशक और यूरोलॉजिस्ट डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह ने कहा कि ब्रिटेन में डॉक्टर अपने मरीज के पूरे परिवार के स्वास्थ्य से अवगत होता है। यह भारत में भी होना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर, नर्स और तकनीशियन की संख्या बढ़ानी होगी। ऐसा तभी संभव है जब अधिक से अधिक संस्थान खुलें। इसके लिए स्वास्थ्य का बजट बढ़ाना होगा। फोर्टिस एस्कॉट हर्ट इंस्टीट्यूट(ओखला, नई दिल्ली) के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजी डॉ. आरिफ मुस्तकीम ने कहा कि अब पोस्ट-कोविड मरीज आ रहे हैं। उन्हें घबराहट और धड़कन तेज होने की शिकायत है। ऐसे लोग डाक्टर से सलाह लें। सभी कोरोना की वैक्सीन जरूर लें। क्योंकि यदि वैक्सीन होने के बाद कोविड हो भी गया तो हल्का असर करेगा। जीवन को सुरक्षा मिलेगी। दोनों एपिसोड का संचालन टीवी पत्रकार अफशां अंजुम ने किया।

अगले रविवार को युवा और महिला पर संवाद

अगले रविवार अर्थात छह जून को तीसरे एपिसोड में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा होगी, जिसमें सैयद सुल्तान अहमद, रौशन अब्बास और प्रो. नफीस हैदर विशेषज्ञ के रूप में भाग लेंगे। वहीं दूसरे एपिसोड में ‘महिला और स्वास्थ्य’ पर चर्चा होगी। इसमें डॉ. रंजना कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता मीनाक्षी गुप्ता, डॉ. मनीषा सिंह और प्रो. रत्ना अमृत भाग लेंगी।

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.